
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की ग्रामीण तस्वीर बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि राज्य के प्रत्येक जिले में दो-दो आदर्श गांव विकसित किए जाएंगे, जिनका मॉडल मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम सारकोट की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। इन गांवों में समग्र विकास, आजीविका संवर्धन, स्वावलंबन और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत योजनाएं लागू की जाएंगी।
यह निर्णय सीएम आवास में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान लिया गया, जिसमें राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों सहित सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पांडेय, धीराज गर्ब्याल, अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान और सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी मौजूद रहे।
आदर्श गांवों में होगा बहुआयामी विकास
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन आदर्श गांवों में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मौनपालन, दुग्ध उत्पादन, मशरूम उत्पादन जैसे विविध आयामों पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सभी पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होंगी और लोगों को स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भर बनाएंगी।
उन्होंने कहा कि इन गांवों का विकास एक समग्र दृष्टिकोण के साथ किया जाए ताकि वे आने वाले समय में राज्य और देश के लिए आदर्श उदाहरण बन सकें। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि इन गांवों को स्थानीय स्तर पर उत्पादित सौर ऊर्जा से रोशन किया जाए, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता के साथ ऊर्जा आत्मनिर्भरता भी हासिल हो।
चारधाम यात्रा मार्ग पर सख्ती, कानून-व्यवस्था सर्वोपरि
बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने चारधाम यात्रा मार्गों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि धामों और यात्रा मार्गों पर यदि कोई व्यक्ति अशांति फैलाने की कोशिश करता है या अवांछित गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उस पर तत्काल कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
धामी ने अधिकारियों से कहा कि यात्रा की पवित्रता को बनाए रखना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। अतः श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए कानून व्यवस्था का पूरी निष्ठा से पालन किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दो आध्यात्मिक-आर्थिक क्षेत्र की घोषणा
मुख्यमंत्री ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जिन दो आध्यात्मिक-आर्थिक क्षेत्रों की घोषणा की गई थी, उनके लिए स्थल चिह्नित कर काम शुरू किया जाए। इन क्षेत्रों का उद्देश्य न केवल योग और अध्यात्म को बढ़ावा देना है, बल्कि इसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्वस्थ जीवनशैली और आर्थिक विकास को भी एक साथ जोड़ा जाएगा।
साहसिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, तैयार होंगे नए डेस्टिनेशन
मुख्यमंत्री ने साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में भी ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में नए पर्यटन डेस्टिनेशन विकसित किए जाएं, जिससे स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार के बेहतर अवसर मिलें।
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, रिवर राफ्टिंग और जंगल सफारी के लिए उपयुक्त है। इन गतिविधियों के लिए अधोसंरचना मजबूत करके पर्यटन को सतत विकास से जोड़ा जा सकता है।
पर्यटन ढांचे के लिए तीन स्तरीय रणनीति
सीएम धामी ने निर्देश दिए कि राज्य के पर्यटन ढांचे को मजबूत करने और रोजगार सृजन के लिए एक तीन स्तरीय रणनीति तैयार की जाए—अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं के रूप में।
- अल्पकालिक योजनाएं त्वरित लाभ देने वाली होंगी, जैसे यात्रा मार्गों की मरम्मत, होमस्टे स्कीम का विस्तार, सफाई व मेडिकल सुविधाओं में सुधार।
- मध्यकालिक योजनाएं अधोसंरचना विकास, गांवों को यात्रा मार्गों से जोड़ने और साहसिक पर्यटन के विस्तार पर केंद्रित होंगी।
- दीर्घकालिक योजनाएं राज्य को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने और स्थायी रोजगार सृजन सुनिश्चित करने की दिशा में होंगी।
हनोल-जागेश्वर मास्टर प्लान और होमस्टे योजना पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने हनोल और जागेश्वर के मास्टर प्लान को शीघ्र क्रियान्वित करने की बात कही। इन स्थलों के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए इनके समुचित विकास से पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, हरिपुर कालसी घाट निर्माण योजना पर तेजी से काम करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, यात्रा मार्ग से जुड़े गांवों को होमस्टे योजना से लाभान्वित करने का भी विशेष निर्देश दिया गया है। इस योजना के तहत स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए तैयार कर सरकार से प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। इससे ग्रामीणों की आमदनी में सीधा इजाफा होगा।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय, कार्यों की होगी निगरानी
मुख्यमंत्री ने बैठक में साफ शब्दों में कहा कि इन सभी योजनाओं की प्रगति की नियमित समीक्षा की जाएगी और हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि केवल घोषणाओं से नहीं, जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन से ही राज्य का समुचित विकास संभव है।