
हरिद्वार स्थित केंद्रीय विद्यालय भेल परिसर में सोमवार को ‘यूनीफॉर्म सिविल कोड (UCC) आभार सम्मेलन’ का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में बाबा साहब के जीवन, उनके विचारों और देश के संविधान निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब न केवल एक महान समाज सुधारक थे, बल्कि एक युगद्रष्टा भी थे, जिनके विचार आज भी समाज की सामूहिक चेतना का हिस्सा हैं।
यूसीसी सम्मेलन: समानता के प्रति एकजुटता का मंच
सम्मेलन का उद्देश्य यूसीसी के समर्थन में जनसमर्थन जुटाना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन केवल एक कानून के समर्थन का मंच नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समरसता और समान नागरिक अधिकारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि आज मैं हरिद्वार की इस पवित्र भूमि पर बाबा साहब डॉ. आंबेडकर की जयंती के अवसर पर आप सभी के साथ उपस्थित हूं। यह एक विशेष अवसर है, और आपकी इतनी विशाल संख्या में उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि बाबा साहब आज भी हमारी चेतना और हमारी सोच का हिस्सा बने हुए हैं।”
बाबा साहब का जीवन – प्रेरणा का प्रतीक
सीएम धामी ने अपने भाषण में विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि बाबा साहब का जीवन ही उनका सबसे बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर का जन्म एक अत्यंत कठिन सामाजिक परिस्थिति में हुआ, लेकिन उन्होंने शिक्षा और आत्मबल के माध्यम से न केवल खुद को स्थापित किया बल्कि लाखों लोगों के जीवन को रोशनी दी। “वे एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने गुलामी के दौर में जन्म लिया, लेकिन अपने ज्ञान और संकल्प से इतिहास बदल दिया। उन्होंने न केवल अपने जीवन को संवारा, बल्कि करोड़ों शोषितों और वंचितों को न्याय और अधिकारों की राह दिखाई,”।
संविधान निर्माता को किया याद
मुख्यमंत्री ने बाबा साहब के संविधान निर्माण में योगदान को देश के लिए “अमूल्य धरोहर” बताया। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को मूल स्तंभ के रूप में स्थापित करना डॉ. आंबेडकर की दूरदर्शिता का परिणाम था। “हर देशवासी को यह स्मरण रखना चाहिए कि हमारे संविधान की आत्मा बाबा साहब के विचारों में बसती है। उन्होंने ही सुनिश्चित किया कि देश का प्रत्येक नागरिक, चाहे उसकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो, बराबरी के अधिकार का हकदार हो,”।
यूसीसी – बाबा साहब के विचारों की आधुनिक अभिव्यक्ति
सम्मेलन में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने इसे बाबा साहब के विचारों की आधुनिक अभिव्यक्ति करार दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर हमेशा समान नागरिक कानून के पक्षधर रहे और यूसीसी उनके विचारों के अनुरूप है। “बाबा साहब सामाजिक न्याय के प्रतीक थे। यूसीसी उनके उसी विचार को आगे ले जाने की कोशिश है – एक ऐसा समाज जहां कानून सबके लिए समान हो। हम किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं चाहते, और यह कानून उस दिशा में बड़ा कदम है,”।
समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प
मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार बाबा साहब के आदर्शों को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी दी। “बाबा साहब ने कहा था कि हम तब तक आगे नहीं बढ़ सकते जब तक समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को न्याय और समान अवसर न मिलें। हमारी सरकार इस दर्शन को नीति के रूप में अपनाकर काम कर रही है,”।
हरिद्वार की धरती से एकता और समरसता का संदेश
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हरिद्वार में इस कार्यक्रम का आयोजन एक बड़ा सामाजिक संदेश लेकर आया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भूमि न केवल अध्यात्म की, बल्कि सामाजिक एकता की भी प्रतीक है। “हरिद्वार से उठी यह आवाज, यह संदेश, देशभर में संविधानिक मूल्यों की पुन: पुष्टि करता है – कि हम सब एक हैं, और हम सबको समान अधिकार प्राप्त हैं,” मुख्यमंत्री धामी ने कहा।