
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों—करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, और खैर—पर उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने करहल सीट से अनुजेश यादव, कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर, मझवां से सुष्मिता मौर्य, कटेहरी से धर्मराज निषाद, खैर से सुरेंद्र दिलेर और गाजियाबाद से संजीव शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, सीसामऊ (कानपुर) सीट के लिए अभी तक बीजेपी ने कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि
कटेहरी और मझवां के प्रत्याशी
कटेहरी से धर्मराज निषाद मूल रूप से बसपा के सदस्य रहे हैं। वे तीन बार बसपा से विधायक रह चुके हैं और बसपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2022 से पहले वे बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन पिछले चुनाव में हार का सामना किया। अब पार्टी ने उन्हें फिर से मौका दिया है।
वहीं, मझवां से सुष्मिता मौर्य बीजेपी से पूर्व विधायक रह चुकी हैं। 2022 में यह सीट निषाद पार्टी को दे दी गई थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपनी पूर्व विधायक को वापस चुनाव में उतारा है।
अन्य प्रत्याशियों की जानकारी
अलीगढ़ की खैर सीट से सुरेंद्र दिलेर पूर्व बीजेपी सांसद राजवीर दिलेर के बेटे हैं। फूलपुर से दीपक पटेल पूर्व बीजेपी सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे हैं। कुंदरकी से रामवीर ठाकुर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और पहले भी बीजेपी से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए।
पार्टी प्रवक्ता का बयान
बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने मझवां से प्रत्याशी के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एनडीए एकजुट है और पार्टी में कोई विवाद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को कमजोर साबित किया है और अखिलेश यादव महाराष्ट्र में कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं। शुक्ला ने यह संकेत भी दिया कि बीजेपी अन्य दो सीटों पर भी अपने ही उम्मीदवार उतारेगी।
सपा की प्रतिक्रिया
उपचुनाव की सीटों पर सपा प्रवक्ता सीए प्रदीप भाटी ने कहा कि जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से पांच सीटों पर सपा पहले भी जीत चुकी है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत लंबे समय से चल रही है, जो उनके चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
हाल के दिनों में बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी ने मझवां और कटेहरी सीटें मांगी थीं। उन्होंने पार्टी हाईकमान से भी इस संबंध में बात की थी। इस मांग के चलते बीजेपी ने इन सीटों पर अपने प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया में संशोधन किया।
निषाद पार्टी के नेताओं ने यह स्पष्ट किया है कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं, ताकि दोनों पार्टियों का हित साधा जा सके। यह देखने वाली बात होगी कि क्या उनकी मांगें आगामी चुनाव में उनकी स्थिति को और मजबूत बनाती हैं।
चुनावी रणनीतियाँ
उपचुनाव में सभी दलों की नजरें इन सीटों पर टिकी हैं। बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों के चयन में अनुभव और पिछली चुनावी हार-जीत के आंकड़ों का ध्यान रखा है। वहीं, सपा और कांग्रेस भी इस चुनाव को अपनी राजनीतिक मजबूती के लिए एक अवसर के रूप में देख रही हैं।
मतदाता की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपचुनावों में मतदाता की सोच और प्राथमिकताएँ महत्वपूर्ण होंगी। पिछले चुनावों में जिन मुद्दों पर जोर दिया गया था, उन पर अब भी मतदाता की नजर रहेगी। इससे यह स्पष्ट होगा कि जनता किस दल को अपनी प्राथमिकता देती है और कौन सा दल अपनी चुनावी रणनीति में सफल होता है।