
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को वीर सावरकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है। राहुल गांधी ने एक याचिका दाखिल कर निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें समन जारी किया गया था और जुर्माना भी लगाया गया था। अदालत ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके पास सत्र अदालत के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का विकल्प है, इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
यह मामला एक विवादास्पद टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर महाराष्ट्र के अकोला में एक सार्वजनिक मंच पर बयान दिया था। इस टिप्पणी के बाद, वीर सावरकर के समर्थकों और उनके परिवार के सदस्य इस बात से नाराज हो गए थे कि राहुल गांधी ने सावरकर की छवि को नुकसान पहुंचाया और उनकी स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका को कम करके आंका।
राहुल गांधी की याचिका और कोर्ट की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें 200 रुपये का जुर्माना और समन जारी किया गया था। इस आदेश का विरोध करते हुए उन्होंने अदालत में कहा था कि उन्हें सावरकर पर अपनी टिप्पणी को लेकर निचली अदालत में सुनवाई से पहले ही इस मामले में राहत मिलनी चाहिए थी। राहुल गांधी का कहना था कि यह टिप्पणी उनके अधिकारों का उल्लंघन है और इस मामले में सावरकर के समर्थकों ने उनका अनावश्यक रूप से पीछा किया है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की इस याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चूंकि उनके पास सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर करने का विकल्प था, इसलिए इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत कोई राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि याचिका पर सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है और यह मामले को सत्र अदालत में स्थानांतरित किया जा सकता है।
सावरकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का मामला
यह विवाद तब शुरू हुआ था जब राहुल गांधी ने 17 नवंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वीर सावरकर पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी। राहुल गांधी ने सावरकर को “अंग्रेजों के पेंशनर” और “दोगला” कहा था। इस बयान को लेकर वीर सावरकर के परिजनों और समर्थकों में नाराजगी फैल गई थी।
वादी नृपेंद्र पांडेय ने इस टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कोर्ट में मामला दायर किया था। पांडेय ने कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणी ने न केवल सावरकर की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम के अन्य सेनानियों का भी अपमान था। पांडेय ने दावा किया कि राहुल गांधी ने जानबूझकर वैमनस्यता पैदा करने के लिए ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे समाज में असहमति और टकराव का माहौल पैदा हो सके।
राहुल गांधी पर जुर्माना और समन
निचली अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए राहुल गांधी पर जुर्माना लगाया और उन्हें समन जारी किया था। अदालत का कहना था कि राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी से न केवल वीर सावरकर का अपमान किया, बल्कि इसने सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित किया। अदालत ने यह भी माना कि राहुल गांधी को अपनी टिप्पणी के लिए कानूनी जवाबदेही का सामना करना चाहिए और यह मामला गंभीर है, इसलिए समन जारी किया गया था।
इसके बाद राहुल गांधी ने अपनी याचिका में इस आदेश को चुनौती दी थी और अदालत से राहत की मांग की थी। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनका यह दावा खारिज कर दिया और कहा कि राहुल गांधी के पास सत्र अदालत में इस मामले पर पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का विकल्प है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें इस मामले में राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत नहीं आता।