
दुनिया एक बार फिर युद्ध के कगार पर खड़ी दिखाई दे रही है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर सीधे सैन्य हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस हमले ने वैश्विक राजनीति को गहराई से झकझोर दिया है और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका अब महज एक विचार नहीं, बल्कि एक बढ़ती हुई संभावना बन चुकी है।
अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को बताया ‘खतरा’
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य ईरान की न्यूक्लियर एनरिचमेंट कैपेसिटी को पूरी तरह खत्म करना था। हम नहीं चाहते कि ईरान कभी परमाणु हथियार बनाए।” पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तरह किया गया था जिसमें नतांज, फोर्डो और अराक़ जैसे संवेदनशील स्थलों को निशाना बनाया गया।
ईरान का पलटवार: “हमारे पास सभी विकल्प खुले”
ईरान ने अमेरिका पर संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए बदले की चेतावनी दी है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपने परमाणु कार्यक्रम को चला रहे थे। अमेरिका ने हम पर हमला कर एक अंतरराष्ट्रीय अपराध किया है। हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। सभी विकल्प हमारे सामने खुले हैं।”
ईरानी मीडिया ने बताया कि राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से फोन पर बातचीत कर स्पष्ट रूप से कहा कि, “अमेरिकियों को उनके हमले का जवाब देना ही होगा।”
ईरान के सुप्रीम लीडर के सलाहकार की चेतावनी
सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार अली शमखानी ने कहा, “भले ही परमाणु स्थल नष्ट हो जाएं, लेकिन खेल खत्म नहीं हुआ है।” इस बयान से साफ है कि ईरान अब प्रतिरोध की नीति से पीछे हटने वाला नहीं है।
रूस-चीन और मुस्लिम देशों का समर्थन ईरान के साथ
अमेरिकी हमले के बाद दुनिया दो धड़ों में साफ तौर पर बंटती नजर आ रही है।
रूस, चीन, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ओमान, कतर और तुर्की जैसे देशों ने अमेरिका की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।
रूस का बयान: “किसी भी संप्रभु राष्ट्र पर इस तरह का हमला पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है।” चीन ने कहा:“अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून को दरकिनार कर जो कार्रवाई की है, उससे मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है।”
पाकिस्तान ने दोहरा रवैया दिखाया:
जहां एक दिन पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन जताया, वहीं हमले के बाद उन्होंने यूएस की आलोचना करते हुए कहा, “ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है, अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है।”
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की मंजूरी
ईरान की संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम निर्णय अब सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है। यह निर्णय वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए बड़ा संकट बन सकता है क्योंकि दुनिया का 20% तेल और गैस व्यापार इसी जलमार्ग से होता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा,“अगर ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद करता है, तो यह एक आर्थिक आत्महत्या होगी।”
भारत की प्रतिक्रिया: संयम और संवाद की अपील
भारत ने एक संतुलित रुख अपनाते हुए मिडिल ईस्ट में शांति की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत की और भारत की चिंता व्यक्त की। मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हमने तनाव को तत्काल कम करने की अपील दोहराई है। क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता संवाद और कूटनीति से ही संभव है।” भारत के लिए यह स्थिति संवेदनशील है क्योंकि भारत अपनी ईंधन जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से पूरा करता है।
संयुक्त राष्ट्र में युद्धविराम प्रस्ताव
रूस, चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम के लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव पेश किया है।
इस प्रस्ताव में मिडिल ईस्ट में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की मांग की गई है।
परंतु इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए नौ देशों का समर्थन और किसी भी स्थायी सदस्य (US, UK, France, Russia, China) का वीटो न होना जरूरी है। अमेरिका की संभावित आपत्ति से प्रस्ताव के पारित होने पर संशय बना हुआ है।
अमेरिका में राजनीतिक घमासान: ट्रंप पर सवाल
अमेरिका में भी इस सैन्य कार्रवाई पर घमासान मच गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जवाब मांगा है। सीनेटर चक शूमर ने कहा, “किसी भी राष्ट्रपति को देश को युद्ध में झोंकने का अधिकार एकतरफा नहीं होना चाहिए।”
अमेरिका और ब्रिटेन का गठजोड़, इजराइल का समर्थन
इजराइल ने अमेरिका को समर्थन देने के लिए धन्यवाद कहा है और ईरान को वैश्विक खतरा बताया है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा, “ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है। हम अमेरिका के साथ हैं।”