
महाराजा रंजीत सिंह की पुण्यतिथि पर हर वर्ष देहरादून से पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों की यात्रा पर जाने वाला श्रद्धालुओं का जत्था इस बार नहीं जाएगा। यह निर्णय कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है। हमले के कारण उत्पन्न हुई सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए आयोजकों ने 21 जून को प्रस्तावित यात्रा को रद्द कर दिया है।
हर साल की तरह इस वर्ष भी देहरादून से श्रद्धालुओं का एक बड़ा जत्था पाकिस्तान स्थित विभिन्न पवित्र गुरुद्वारों के दर्शन हेतु रवाना होने वाला था। इसमें प्रमुख रूप से गुरुद्वारा पंजा साहिब (हसन अब्दाल), गुरुद्वारा करतारपुर साहिब (नरोवाल), गुरुद्वारा डेरा साहिब (लाहौर), गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा रोड़ी साहिब (ऐमनाबाद) शामिल थे। लेकिन पहलगाम में हुए हमले के बाद देशभर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है, और देहरादून में भी इसका प्रभाव देखा गया है।
15 वर्षों से हो रही थी यात्रा
पिछले करीब 15 वर्षों से देहरादून से हर वर्ष महाराजा रंजीत सिंह की बरसी के अवसर पर श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान रवाना होता रहा है। यह धार्मिक यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और संस्कृति के आदान-प्रदान का प्रतीक मानी जाती है। आयोजकों के अनुसार, हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं और यह उनके लिए आस्था से जुड़ा एक विशेष अनुभव होता है।
इस बार यात्रा के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। यात्रियों के पासपोर्ट एकत्र किए जा चुके थे और पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों से समन्वय भी स्थापित किया जा चुका था। लेकिन पहलगाम हमले के बाद अचानक यात्रा पर संकट के बादल छा गए। जत्थेदार रंजीत सिंह ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनियों और देश में बढ़ते विरोध को देखते हुए यात्रा रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा। “हमारे लिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। हम किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते। हालात सामान्य होने पर भविष्य में यात्रा को लेकर निर्णय लिया जाएगा,” – जत्थेदार रंजीत सिंह
अब तक 50 पासपोर्ट जमा हो चुके थे
इस धार्मिक यात्रा के लिए अब तक 50 श्रद्धालुओं के पासपोर्ट जमा किए जा चुके थे। आयोजकों ने सभी पासपोर्ट वापिस कर दिए हैं और यात्रियों को रद्दीकरण की जानकारी दे दी गई है। रंजीत सिंह के अनुसार, श्रद्धालु निराश जरूर हैं, लेकिन वे भी सुरक्षा कारणों को लेकर चिंतित हैं और यात्रा रद्द करने के फैसले को समझ रहे हैं।
पाकिस्तान में स्थित प्रमुख गुरुद्वारों की यात्रा
हर साल देहरादून से जाने वाले जत्थे के श्रद्धालु पाकिस्तान के ऐतिहासिक और पवित्र गुरुद्वारों के दर्शन करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- गुरुद्वारा पंजा साहिब (हसन अब्दाल): माना जाता है कि यहां गुरुनानक देव जी ने एक विशाल चट्टान को हाथ से रोका था, जिस पर आज भी उनका पंजा चिन्हित है।
- गुरुद्वारा करतारपुर साहिब: यह वह स्थान है जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। भारत-पाक के बीच करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से यहां जाना संभव होता है।
- गुरुद्वारा डेरा साहिब (लाहौर): यह स्थान गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से जुड़ा है।
- गुरुद्वारा सच्चा सौदा: इस स्थान पर गुरु नानक देव जी ने ‘सच्चा सौदा’ किया था।
- गुरुद्वारा रोड़ी साहिब: यह स्थान गुरु नानक देव जी के पाकिस्तान प्रवास की गवाही देता है।
वर्ष में कई बार होते हैं ऐसे दौरे
देहरादून से श्रद्धालुओं के जत्थे सिर्फ महाराजा रंजीत सिंह की बरसी पर ही नहीं, बल्कि वर्ष के अन्य प्रमुख सिख पर्वों जैसे बैसाखी, गुरु नानक जयंती और गुरु पर्वों पर भी पाकिस्तान जाते हैं। बीते 19 जून को भी देहरादून से 72 श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान रवाना हुआ था। इससे पहले भी ऐसे धार्मिक यात्राओं के कई आयोजन हो चुके हैं। ये यात्राएं सिख समुदाय के लिए न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान सांस्कृतिक संबंधों की एक सकारात्मक मिसाल भी पेश करती हैं।