
पहाड़ों की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और भारी बारिश के खतरे के बीच उत्तराखंड की धामी सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा मानसून सत्र आयोजित करने के फैसले पर अडिग रही। तमाम विरोध, अफसरशाही की असहजता और प्राकृतिक आपदाओं की आशंका के बावजूद सरकार ने देहरादून की अपेक्षा भराड़ीसैंण को वरीयता देते हुए सत्र को गैरसैंण में आयोजित करने का निर्णय लिया — और सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सत्र से जुड़ा पूरा सरकारी काफिला गैरसैंण पहुंच गया।
मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी, संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत सभी मंत्री, विधायक और अधिकारी भराड़ीसैंण में मौजूद हैं। सुबह की बारिश के बीच सत्र स्थल तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन दोपहर बाद मौसम खुलने से थोड़ी राहत जरूर मिली।
मानसून के बीच सत्र: धामी सरकार का साहसी फैसला
इस बार मानसून सत्र गैरसैंण में कराने का निर्णय इसलिए भी विशेष है क्योंकि फरवरी 2025 में बजट सत्र देहरादून में आयोजित किया गया था, जिस पर विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार गैरसैंण को केवल “ग्रीष्मकालीन राजधानी” के नाम पर दिखावटी निर्णयों तक सीमित रखना चाहती है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने तब स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि भराड़ीसैंण विधानसभा में ई-नेवा परियोजना के तहत डिजिटाइजेशन और साउंड सिस्टम का कार्य प्रगति पर है, जिसके कारण बजट सत्र गैरसैंण में कराना तकनीकी रूप से संभव नहीं था। सरकार ने तब वादा किया था कि मानसून सत्र को गैरसैंण में आयोजित किया जाएगा। लेकिन अगस्त में मानसून के कमजोर होने की जो उम्मीद की गई थी, वह पूरी नहीं हो सकी।
भारी बारिश और आपदा के बीच सत्र: मुश्किलें बढ़ीं
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाएं लगातार जारी हैं। उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल, साथ ही पौड़ी जिले के सैंजी क्षेत्र में आपदा से भारी नुकसान की खबरें हैं। कई स्थानों पर भूस्खलन और गदेरों में आई बाढ़ ने सड़क यातायात को प्रभावित किया है।
इन परिस्थितियों में गैरसैंण तक 260 किमी की सड़क यात्रा सरकारी मशीनरी, विधायकों और कर्मचारियों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं रही। भारी बारिश में कीचड़ से सनी सड़कों, खराब मौसम और पहाड़ी रास्तों की दुश्वारियों के बीच सत्र की तैयारी और आगमन को लेकर कई अफसर और विधायक असहज दिखे।
सरकारी अधिकारियों ने बंद कमरे में यह भी चर्चा की कि ऐसी स्थिति में यदि सत्र देहरादून में आयोजित किया जाता, तो समय, संसाधन और जोखिम — तीनों की बचत होती। बावजूद इसके मुख्यमंत्री धामी ने साफ निर्देश दिया कि सरकार अपने वादे से पीछे नहीं हटेगी और सत्र गैरसैंण में ही होगा।
मुख्यमंत्री धामी का अडिग रुख
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह निर्णय सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी अहम है। गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया है, और सरकार इस छवि को जनमानस में मजबूत बनाना चाहती है।
धामी सरकार का मानना है कि भले ही भौगोलिक कठिनाइयाँ हों, लेकिन गैरसैंण में सत्र आयोजित करने से राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों को प्रतीकात्मक नहीं, वास्तविक राजनीतिक महत्व मिलेगा। यह निर्णय सरकार की ‘पहाड़ के साथ, पहाड़ के लिए’ नीति को भी दर्शाता है।
विधायक, अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे सत्र स्थल
सोमवार की सुबह भारी बारिश के बीच मंत्री, विधायक, अधिकारी और कर्मचारियों का जत्था देहरादून से भराड़ीसैंण की ओर रवाना हुआ। कई स्थानों पर भूस्खलन और खराब मौसम के चलते यात्रा में समय अधिक लगा, लेकिन आखिरकार सभी प्रतिनिधि सुरक्षित भराड़ीसैंण पहुंच गए।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी एक दिन पहले ही भराड़ीसैंण पहुंच चुकी थीं और सत्र की तैयारियों का निरीक्षण कर चुकी थीं। मौसम खुलने के बाद दोपहर में गैरसैंण में तेज धूप खिली, जिससे सभी को राहत मिली। हालांकि पहाड़ी ठंड और धुंध अब भी बनी हुई है।