शारदीय नवरात्र के अवसर पर, शुक्रवार को नवमी तिथि पर माता दुर्गा के अंतिम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई। इस वर्ष नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की गई, जिसमें भक्तों ने सच्चे मन से देवी की आराधना की। महा अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ ही माता की विदाई की परंपरा भी निभाई गई।
कन्या पूजन की परंपरा
कन्या पूजन नवरात्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्त देवी के स्वरूप में कन्याओं का पूजन करते हैं। इस दौरान, कन्याओं को भोजन और उपहार देकर उनका सम्मान किया जाता है। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि कन्याएं देवी का स्वरूप होती हैं और उनके पूजन से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
मुख्यमंत्री की प्रार्थना और पूजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर अपने शासकीय आवास पर मां सिद्धिदात्री की आराधना की। उन्होंने लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की और देवी स्वरूपा कन्याओं का पूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “आदिशक्ति मां भगवती सभी प्रदेशवासियों का कल्याण करें और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।”
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को प्रारंभ हुई और इसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर हुआ। उदया तिथि के आधार पर, अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को ही मनाई गई। इस दिन कन्या पूजन करने वाले भक्तों ने पूजा संपन्न की और व्रत का पारण कराया।
माता दुर्गा की भक्ति
नवरात्र के दौरान भक्तों ने माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की, जिसमें मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां सिद्धिदात्री शामिल हैं। हर स्वरूप का अपना अलग महत्व और विशेषता है। भक्तों का मानना है कि मां दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री को अष्ट सिद्धियों की दात्री माना जाता है। उनका पूजन करने से भक्तों को विशेष शक्तियों की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों के सभी कार्य सफल होते हैं। उनकी पूजा से समृद्धि, धन और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।
सामाजिक समर्पण और एकता
कन्या पूजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना। इस दिन, लोग अपने आस-पड़ोस की कन्याओं को आमंत्रित करते हैं और उन्हें आदर और सम्मान देते हैं। इससे समाज में सहयोग और एकता की भावना को बल मिलता है।
धार्मिक आयोजनों का महत्व
नवरात्रि के इस पर्व पर विभिन्न धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं, जैसे भजन-कीर्तन, देवी का जागरण, और विशेष पूजा-अर्चना। ये आयोजन भक्तों में भक्ति की भावना को और अधिक प्रबल करते हैं और उन्हें धार्मिकता की ओर प्रेरित करते हैं।