
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में पिछले 12 दिनों से आपदा का कहर थमा नहीं है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा धराली में भारी मलबे के बीच से मार्ग को साफ कर वाहनों की आंशिक आवाजाही सुचारू कर दी गई है, जिससे राहत कार्यों को कुछ गति मिली है। हालांकि, हर्षिल के समीप बनी झील में डूबे गंगोत्री हाईवे को बहाल करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
इस बीच, खराब मौसम के कारण सुबह हेली रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा, लेकिन दोपहर बाद मौसम साफ होने के बाद फिर से हेलिकॉप्टर के माध्यम से रेस्क्यू और राहत सामग्री का परिवहन शुरू कर दिया गया है। प्रभावित गांवों में अब भी हालात सामान्य नहीं हैं, और लोगों की दुश्वारियां बदस्तूर जारी हैं।
धराली में मार्ग बहाल, लेकिन राहत कार्य अब भी चुनौतीपूर्ण
बीआरओ की टीमों ने दिन-रात की मेहनत से धराली के पास मलबा हटाकर आंशिक रूप से वाहनों की आवाजाही बहाल कर दी है, जिससे कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन ग्रामीण इलाकों तक आवश्यक सामग्री पहुंचाने में अब भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
मुखबा-धराली को जोड़ने वाला पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ रही है। एक वीडियो में देखा गया कि ग्रामीण रस्सी के जरिए रसोई गैस सिलिंडर और अन्य जरूरी सामान भागीरथी नदी के बहाव के बीच से खींच कर ला रहे हैं।
हर्षिल झील बना गंगोत्री हाईवे का बड़ा अवरोध
धराली के आगे हर्षिल में बनी अस्थाई झील के कारण गंगोत्री हाईवे अब भी पूरी तरह से बाधित है। झील के पानी ने हाईवे के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया है, जिससे बीआरओ की मशीनें वहां तक नहीं पहुंच पा रही हैं। रात में होने वाली लगातार बारिश से झील का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे मरम्मत और मार्ग बहाली का कार्य रुक-रुक कर हो रहा है।
प्रशासन का कहना है कि जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, झील से पानी निकालने और हाईवे की बहाली का काम फिर से तेज किया जाएगा।
हेली रेस्क्यू दोबारा शुरू, राहत सामग्री पहुंचाई जा रही
सुबह से बंद पड़ा हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन दोपहर के बाद मौसम सुधरने पर फिर से शुरू हो गया। प्रशासन ने बताया कि अब तक कई परिवारों तक खाद्यान्न, दवाइयां और अन्य जरूरी सामग्री पहुंचाई जा चुकी है। विशेष रूप से ऐसे गांवों में जो पूरी तरह से सड़क संपर्क से कट चुके हैं, वहां हेलीकॉप्टर ही एकमात्र सहारा बन चुके हैं।
वहीं, चिकित्सा सहायता के लिए भी हेली से डॉक्टरों की टीमें प्रभावित गांवों में भेजी गई हैं।
धराली गांव में अभी भी पसरा है सन्नाटा, ग्रामीण सदमे में
आपदा के 12 दिन बीतने के बावजूद धराली गांव की स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। कई ग्रामीण अब भी अपने घरों की बजाय मंदिर परिसर या खुले स्थानों पर दिन गुजारने को मजबूर हैं। स्थानीय महिलाओं ने बताया कि उन्हें अब भी मलबे की गर्जन और तबाही की वो रात डरावने सपने की तरह सताती है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, लेकिन पुनर्वास और स्थायी समाधान की दिशा में अब भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
खीर गंगा में लापता लोगों की खोज जारी, अभी तक नहीं मिला कोई सुराग
खीर गंगा क्षेत्र में मलबे में दबे लोगों की तलाश अभी भी जारी है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें आधुनिक उपकरणों और स्निफर डॉग्स की मदद से सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। लेकिन भारी मलबा, सतह की अस्थिरता और लगातार होती बारिश इस काम में बड़ी बाधा बन रही है।
हर बीतते दिन के साथ लापता लोगों के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। प्रशासन ने कहा है कि जब तक अंतिम व्यक्ति का भी पता नहीं चल जाता, तलाशी अभियान जारी रहेगा।