
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई को तेज कर दिया है और अब उनकी फंडिंग की गहन जांच की जाएगी। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन मदरसों को संचालित करने के लिए कोई अवैध तरीके से फंडिंग नहीं हो रही हो। जांच की रिपोर्ट को अधिकारियों द्वारा सीधे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। राज्य सरकार ने पिछले एक महीने से अवैध मदरसों के खिलाफ एक सख्त अभियान चला रखा है, जिसके तहत कई मदरसे सील किए जा चुके हैं। यह कदम प्रदेश की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बीते सोमवार को देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में स्थित एक बड़े मदरसे को अवैध निर्माण के मामले में सील कर दिया गया। यह मदरसा बिना प्राधिकरण की अनुमति के एक अतिरिक्त मंजिल का निर्माण कर रहा था, जिसके कारण इसे नोटिस जारी किया गया था और बाद में इसे सील कर दिया गया। यह कार्रवाई अवैध निर्माणों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की गंभीरता को दिखाती है। सवाल यह उठता है कि इन मदरसों को संचालित करने और वहां कार्यरत कर्मियों के वेतन का भुगतान कहां से हो रहा है? यह जानना जरूरी है कि क्या इन मदरसों के लिए अन्य देशों से फंडिंग आ रही है, और यह राशि किस उद्देश्य के लिए उपयोग हो रही है।
उत्तराखंड सरकार ने अवैध मदरसों के आर्थिक स्रोतों की जांच के लिए जिला प्रशासन को आदेश दिए हैं। राज्य में कुल करीब 450 पंजीकृत मदरसे हैं, जो सरकार को अपने दस्तावेज, बैंक खाते और आय-व्यय का ब्योरा देते हैं। लेकिन प्रदेश में 500 से अधिक ऐसे मदरसे भी हैं जो बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का सत्यापन और आर्थिक स्रोतों की जांच के लिए जिला स्तर की समितियां गठित की गई हैं।
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं कि इन मदरसों को किस स्रोत से धन मिल रहा है और उस धन का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। यह जांच पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से की जाएगी ताकि कोई अवैध गतिविधि न हो।
पिछले कुछ समय से उत्तराखंड के सीमा क्षेत्रों, खासकर उत्तर प्रदेश से सटे कस्बों में अवैध मदरसों के खुलने की खबरें सामने आई हैं। जसपुर, बाजपुर, किच्छा, काशीपुर, रुद्रपुर, गदरपुर, पछवादून और हरिद्वार जिले में कई मदरसे बिना पंजीकरण के खुले हैं। यह स्थिति सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। इन क्षेत्रों में अवैध मदरसों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, और सरकार को डर है कि इन मदरसों का इस्तेमाल अनैतिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
उत्तराखंड में अब तक कुल कई अवैध मदरसे सील किए जा चुके हैं,
- ऊधमसिंह नगर – 64
- देहरादून – 44
- हरिद्वार – 26
- पौड़ी गढ़वाल – 02
- इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में अवैध मदरसों की संख्या चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुकी है। यह न केवल कानून और व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है।
उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध मदरसों, मजारों और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। यह प्रदेश की सुरक्षा, विकास और सामाजिक समरसता के लिए आवश्यक है। सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ जांच करें। इसके साथ ही सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में कोई भी अवैध निर्माण न हो और किसी भी मदरसे को बिना पंजीकरण के संचालित न किया जाए।
जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रदेश में चल रहे अवैध मदरसों को किस स्रोत से धन प्राप्त हो रहा है और उसका उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। खासकर यह जांच यह स्पष्ट करने के लिए की जा रही है कि कहीं इन मदरसों को विदेशों से फंडिंग तो नहीं मिल रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि यह पूरा मामला पारदर्शी तरीके से सामने आए, और प्रदेश में कोई भी अवैध गतिविधि न हो।
इसके अलावा, यह जांच यह भी सुनिश्चित करेगी कि इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का सत्यापन किया जाए, ताकि यह देखा जा सके कि इन बच्चों का पंजीकरण और शिक्षा मानक के अनुसार है या नहीं। इसके अलावा इन मदरसों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों की भी जांच की जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह प्रदेश में अवैध मदरसों के संचालन को बर्दाश्त नहीं करेगी। सरकार का उद्देश्य न केवल इन मदरसों की जांच करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सभी मदरसे सही तरीके से पंजीकरण और नियमन के तहत काम करें। साथ ही, सरकार ने यह भी कहा है कि वह किसी भी अवैध गतिविधि को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इस मामले की जांच जल्दी से जल्दी पूरी करें और रिपोर्ट सरकार को सौंपें, ताकि उचित कदम उठाए जा सकें।