
प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को मजबूती देने के लिए उत्तराखंड सरकार एक नई और प्रभावशाली प्रोत्साहन नीति की तैयारी कर रही है। यह नीति खासतौर पर उन उद्योगों के लिए तैयार की जा रही है जो राज्य में अधिक उत्पादन कर रहे हैं और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित कर रहे हैं। उद्योग विभाग की ओर से प्रस्तावित यह नई नीति न केवल स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार देगी।
शासन स्तर पर तैयार की जा रही यह नीति राज्य के उद्योग क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। इसमें खासतौर पर पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में स्थापित एमएसएमई इकाइयों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सब्सिडी, टैक्स में राहत और अन्य सहूलियतें देने की योजना बनाई जा रही है।
स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों को मिलेगा विशेष लाभ
वर्तमान में प्रदेश में कृषि और बागवानी आधारित उद्योगों की व्यापक संभावनाएं हैं, खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में। स्थानीय उद्योग संगठनों का लंबे समय से यह मानना रहा है कि यदि ऐसे उद्योगों को उत्पादन और रोजगार के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाए, तो इससे न केवल स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उद्योग संगठनों की मांग रही है कि नीति इस तरह से बनाई जाए कि जो इकाइयां अधिक उत्पादन करें और अधिक लोगों को रोजगार दें, उन्हें उसी अनुपात में अतिरिक्त प्रोत्साहन मिले। सरकार की ओर से अब इस मांग को गंभीरता से लिया गया है और उद्योग विभाग एक प्रस्तावित नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
89 हजार से अधिक एमएसएमई, 4.5 लाख लोगों को मिला रोजगार
राज्य गठन से लेकर अब तक उत्तराखंड में कुल 89,000 से अधिक एमएसएमई इकाइयों की स्थापना हो चुकी है। इन इकाइयों में अब तक करीब ₹17,189 करोड़ का निवेश हुआ है और लगभग 4.5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि एमएसएमई न केवल आर्थिक गतिविधियों का आधार हैं, बल्कि राज्य में बेरोजगारी की समस्या को भी काफी हद तक कम करने में सहायक हैं।
एमएसएमई क्षेत्र का भारत की GDP में लगभग 30% योगदान है, और उत्तराखंड में भी यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। खास बात यह है कि ये इकाइयां कम पूंजी निवेश में अधिक रोजगार देने की क्षमता रखती हैं, जिससे इन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगाने पर 4 करोड़ तक सब्सिडी
उत्तराखंड सरकार पहले ही एमएसएमई नीति 2023 के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगाने वालों को भारी प्रोत्साहन देने की घोषणा कर चुकी है। नई नीति के तहत इन क्षेत्रों में 50 लाख रुपये से लेकर अधिकतम 4 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। साथ ही, इन क्षेत्रों में निवेश करने वालों को स्टांप ड्यूटी में भी 100% की प्रतिपूर्ति दी जा रही है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों के लिए निवेश की सीमा भी निर्धारित की गई है—सूक्ष्म इकाइयों के लिए अधिकतम ₹1 करोड़, लघु उद्योगों के लिए ₹1 से ₹5 करोड़, और मध्यम उद्योगों के लिए ₹10 से ₹50 करोड़ तक निवेश की अनुमति दी गई है।
‘उत्पादन आधारित प्रोत्साहन’ की दिशा में अहम कदम
यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने उत्पादन और रोजगार को उद्योग प्रोत्साहन नीति का आधार बनाने का निर्णय लिया है। अब तक उद्योगों को प्रोत्साहन केवल पूंजी निवेश और परियोजना की स्थिति के आधार पर दिया जाता रहा है। लेकिन नई नीति में सरकार उन इकाइयों को अतिरिक्त लाभ देगी, जो सालाना आधार पर अपने उत्पादन में वृद्धि करते हैं और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं।
यह नीति केंद्रीय सरकार की ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ योजना की तर्ज पर तैयार की जा रही है, जिसमें विशेष रूप से मोबाइल विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और आज वैश्विक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है। उसी मॉडल को राज्य के स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों के लिए अपनाने की योजना है।
दुर्गम क्षेत्रों के लिए होगा अतिरिक्त प्रोत्साहन
नई नीति का एक और अहम पहलू यह होगा कि जो उद्योग दुर्गम और बेहद दूरस्थ क्षेत्रों में स्थापित होंगे, उन्हें अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जाएगा। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और ग्रामीण पलायन को रोकना है। सरकार चाहती है कि स्थानीय संसाधनों जैसे जड़ी-बूटियों, फलों, सब्जियों, और हस्तशिल्प के आधार पर स्थानीय स्तर पर ही उद्योग पनपें।