
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने हरिद्वार के कनखल में आयोजित अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन-2024 में भाग लिया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के तत्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए वेदों के विद्वानों ने भाग लिया। सम्मेलन में कुल 14 राज्यों से विद्वान आए थे और चारों वेदों की 10 शाखाओं पर चर्चा की गई। इस अवसर पर राज्यपाल ने सम्मेलन में भाग लेने वाले विद्वानों को सम्मानित किया और वेदों से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
राज्यपाल ने वेदों को भारतीय ज्ञान परंपरा की नींव बताया
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह ने वेदों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा, “भारतीय संस्कृति में वेदों का स्थान सर्वोपरि है। वेद भारतीय ज्ञान परंपरा की नींव हैं और इनमें वर्तमान और भविष्य की सभी चुनौतियों का समाधान छिपा हुआ है। वेदों का अध्ययन करने वाला व्यक्ति समाज का सच्चा मार्गदर्शक बनता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वेद सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रकाशित करने वाली ज्ञान की ज्योति हैं। राज्यपाल ने वेदों के अध्ययन को मानवता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वेदों से मिलकर ही समाज को सत्य, शांति और समृद्धि की दिशा मिल सकती है।
उत्तराखंड को वेदों और वैदिक शिक्षा की पावन भूमि बताया
राज्यपाल ने उत्तराखंड को वेदों और वैदिक शिक्षा की पावन भूमि बताते हुए कहा, “उत्तराखंड ने सैकड़ों वर्षों से वेदों और उनके ज्ञान को संरक्षित किया है। यह ऋषियों और संतों की साधना भूमि रही है, जहाँ से भारतीय संस्कृति और वेदों का प्रसार हुआ।” उन्होंने आगे कहा, “यह हमारा कर्तव्य है कि हम वेदों के अमूल्य ज्ञान को न केवल अपने देश के नागरिकों तक पहुँचाएं, बल्कि इसे पूरी मानवता के लिए उपलब्ध कराएं।”
राज्यपाल ने यह भी कहा कि देवभूमि उत्तराखंड का प्रत्येक कण ऋषि-मुनियों की तपस्या और ज्ञान से ओतप्रोत है। इस भूमि ने भारतीय संस्कृति और वेदों को संजोने और फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वेदों का महत्व और उनके संरक्षण पर जोर
राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति के अद्वितीय इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारी संस्कृति की जड़ें वेदों, उपनिषदों, महाभारत, रामायण और पुराणों में समाहित हैं। यह हमारे पुरखों का ज्ञान है, जिसे हम आज भी जीवित रखे हुए हैं।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन के माध्यम से वेदों के अध्ययन और उनके महत्व को समझने में जनमानस की रुचि बढ़ेगी। उन्होंने आयोजकों को इस आयोजन की सफलता के लिए बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के प्रयास हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उसे भविष्य की पीढ़ी तक पहुँचाने में मदद करेंगे।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख अतिथि और विद्वान
इस आयोजन में कई महत्वपूर्ण व्यक्ति और विद्वान उपस्थित रहे। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी श्री विश्वेश्वरानंद गिरी जी महाराज, पतंजलि आयुर्वेद के कुलपति आचार्य बाल कृष्ण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के सचिव प्रो. विरूपाक्ष वी. जड्डीपाल, पूर्व सचिव प्रो. किशोर मिश्र, जिलाधिकारी हरिद्वार कमेंद्र सिंह, एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल और अन्य प्रमुख अधिकारी और विद्वान इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।
इन सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और वेदों के महत्व, उनके संरक्षण और प्रचार-प्रसार के तरीकों पर चर्चा की।
वेदों से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन
सम्मेलन के दौरान राज्यपाल ने वेदों से संबंधित एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। प्रदर्शनी में वेदों की विविध शाखाओं, उनके महत्व और इतिहास पर प्रकाश डाला गया था। प्रदर्शनी में विशेष रूप से वेदों की हस्तलिखित प्रतियां, वेदों से जुड़े शास्त्रों और पुरानी पुस्तकों का संग्रह किया गया था, जो भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।
संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में राज्यपाल का योगदान
राज्यपाल गुरमीत सिंह के अनुसार, इस प्रकार के सम्मेलन भारतीय संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जो वेदों और भारतीय ज्ञान परंपरा का गहरा अध्ययन करना चाहते हैं। वेदों के अध्ययन से न केवल हमारी समझ में वृद्धि होती है, बल्कि यह हमारे समाज को भी शांति, समृद्धि और बौद्धिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि वेदों का अध्ययन और उनका प्रचार-प्रसार न केवल भारतीय समाज के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी लाभकारी हो सकता है। इसके माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पूरी दुनिया तक पहुँचा सकते हैं और वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान की महत्ता को उजागर कर सकते हैं।
वेदों के अध्ययन के लिए सरकार की योजनाएं
राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा वेदों और वैदिक शिक्षा के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने इस दिशा में कई योजनाएं बनाई हैं, ताकि वेदों का संरक्षण किया जा सके और नई पीढ़ी को इसके महत्व से परिचित कराया जा सके।” इसके अलावा, राज्य सरकार ने वेदों और संस्कृत की शिक्षा के लिए विभिन्न संस्थानों को सहायता प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं।