
उत्तराखंड के चारधामों में से एक, यमुनोत्री धाम में तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए गरुड़गंगा के समीप निर्मित नए हेलीपैड का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया है। इस निर्माण के पूरा होते ही वहां लगातार हेलीकॉप्टरों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जा रहा है, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि आगामी चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा बड़ी भूमिका निभा सकती है।
हेलीपैड का यह परीक्षण चरण अब तक पूरी तरह सफल रहा है। पहले चरण में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority – UCADA) के हेलीकॉप्टर ने दो दिन तक यमुनोत्री में सुरक्षित लैंडिंग और टेकऑफ कर इस हेलीपैड की गुणवत्ता और क्षमता का परीक्षण किया। इसके बाद भारतीय सेना के ‘चीता’ हेलीकॉप्टर ने स्थल की रेकी करने के बाद सफलतापूर्वक लैंडिंग कर अपनी मुहर लगाई। अब इस कड़ी में एक और महत्वपूर्ण नाम जुड़ गया है—मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का।
मुख्यमंत्री का सफल आगमन
रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सरकारी हेलीकॉप्टर ने भी गरुड़गंगा के पास बने इस नए हेलीपैड पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने इस लैंडिंग की पुष्टि की और बताया कि यह एक अभ्यास उड़ान थी, जो पूरी तरह सफल रही। हेलीकॉप्टर कुछ देर के लिए हेलीपैड पर रुका और उसके बाद वापस देहरादून रवाना हो गया।
इस लैंडिंग के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 30 अप्रैल को यमुनोत्री धाम के कपाटोद्धाटन (मंदिर के कपाट खुलने की रस्म) के अवसर पर स्वयं वहां उपस्थित हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह पहला मौका होगा जब नव निर्मित हेलीपैड का औपचारिक उपयोग इस स्तर पर किया जाएगा।
तीर्थयात्रियों के लिए राहत की खबर
यमुनोत्री धाम की यात्रा बेहद दुर्गम मानी जाती है। यहां तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को हनुमान चट्टी से लगभग 6 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती है, जो ऊबड़-खाबड़ रास्तों और कठिन मौसम की वजह से बुजुर्गों व बीमार यात्रियों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। ऐसे में हेलीपैड का निर्माण और उस पर सफल परीक्षण यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी राहत बनकर आया है।
अब तक यमुनोत्री धाम में हेलीकॉप्टर लैंडिंग की कोई सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी, जिससे VIP आगंतुकों या आपातकालीन स्थितियों में दिक्कतें आती थीं। लेकिन अब नए हेलीपैड के तैयार हो जाने से न सिर्फ प्रशासनिक गतिविधियों में तेजी आएगी, बल्कि किसी भी आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों को भी गति मिलेगी।
सेना और प्रशासन की साझेदारी
सेना और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से हेलीपैड का यह निर्माण कार्य तेजी से पूरा किया गया। भारतीय सेना के चीता हेलीकॉप्टर ने परीक्षण के दौरान उस क्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया और लैंडिंग की, जिससे हेलीपैड की सामरिक और तकनीकी मानकों की पुष्टि हुई।
यमुनोत्री धाम समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां मौसम पल-पल बदलता रहता है। ऐसे में हेलीकॉप्टर ऑपरेशन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पायलटों को मौसम संबंधी जानकारी, स्थल की स्थिरता, और उड़ान पथ की पूरी समझ हो। सेना और यूकाडा की टीमों ने इन सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए लैंडिंग अभ्यास को अंजाम दिया।
मुख्यमंत्री की संभावित यात्रा
सीएम धामी का इस हेलीपैड पर उतरना केवल एक अभ्यास उड़ान नहीं, बल्कि संभावित भविष्य की यात्रा का संकेत माना जा रहा है। 30 अप्रैल को जब यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे, तब चारधाम यात्रा का औपचारिक शुभारंभ होगा। हर साल हजारों श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित रहते हैं। इस बार अगर मुख्यमंत्री स्वयं वहां पहुंचते हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक बल्कि धार्मिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।
मुख्यमंत्री धामी इससे पहले भी चारधाम यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं की समीक्षा करते रहे हैं। वे लगातार राज्य में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी और भौतिक ढांचे में सुधार की बात करते आए हैं। इस हेलीपैड का निर्माण उसी सोच का हिस्सा है, जो अब मूर्त रूप ले चुका है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड सरकार की योजना है कि चारधाम यात्रा को और अधिक सुगम और सुरक्षित बनाया जाए, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो सके। बेहतर हेली सेवा, सड़क मार्ग की मरम्मत, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रणाली, और आपदा प्रबंधन की तैयारी इस दिशा में उठाए गए कुछ कदम हैं। यमुनोत्री हेलीपैड का निर्माण और उस पर सफल परीक्षण निश्चित तौर पर इस योजना को और मजबूती देगा।
हेली सेवा का विस्तार होने से तीर्थयात्रियों को अब सीमित समय में चारों धामों की यात्रा पूरी करने का मौका मिलेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पर्यटन को भी गति मिलेगी, जो राज्य की आर्थिकी के लिए अत्यंत आवश्यक है।