देहरादून: उत्तराखंड भाजपा नेतृत्व ने निकाय आरक्षण को लेकर सामने आ रही आपत्तियों को शहरी विकास विभाग में उठाने का सुझाव दिया है। पार्टी ने साफ किया है कि अगर कोई भी व्यक्ति इस संबंध में अपनी आपत्ति या सुझाव सार्वजनिक मंचों पर उठाता है तो इसे अनुशासनहीनता माना जाएगा और इसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने इस मुद्दे पर बयान जारी कर पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे निकाय आरक्षण संबंधी किसी भी समस्या को पार्टी के अंदर ही उठाएं, न कि मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर।
राज्य सरकार ने वैधानिक प्रक्रिया का पालन किया
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अपने बयान में कहा कि राज्य सरकार ने निकाय चुनावों के आरक्षण के मामले में सभी वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया है और इसे सुनिश्चित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार है, और इस संबंध में कोई भी व्यक्ति अपनी आपत्ति या सुझाव राज्य के शहरी आवास विभाग में निर्धारित प्रक्रिया के तहत दर्ज करवा सकता है।
भट्ट ने कहा कि किसी भी आपत्ति या सुझाव को उचित मंच से उठाने के बाद पूरी तरह से विचार विमर्श किया जाएगा और सर्वोचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर किसी को निकाय आरक्षण से संबंधित कोई आपत्ति है, तो वे निर्धारित प्रक्रिया के तहत इसे संबंधित विभाग में दर्ज करवा सकते हैं। इसके बाद इस पर उचित विचार-विमर्श किया जाएगा।”
मीडिया में बयानबाजी को अनुशासनहीनता माना जाएगा
प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे आरक्षण को लेकर अपनी आपत्ति मीडिया में या सार्वजनिक मंचों पर न उठाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान केवल भ्रम और असमंजस फैलाने के अलावा कुछ नहीं होते। भट्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार के बयान अनावश्यक और अनुचित हैं। उन्होंने कहा, “मीडिया में इस तरह की बयानबाजी से केवल भ्रम फैलता है, जो कि पार्टी और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ है।”
भट्ट ने चेतावनी दी कि पार्टी के भीतर जो लोग निकाय आरक्षण को लेकर किसी भी प्रकार की समस्या महसूस कर रहे हैं, वे इसे पार्टी के भीतर ही उचित मंच पर उठाएं। इसके लिए पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों और जिम्मेदार व्यक्तियों से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी फोरम से बाहर अपनी समस्याएं सार्वजनिक करना अनुशासनहीनता के दायरे में आता है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पार्टी के भीतर उठाने का निर्देश
महेंद्र भट्ट ने यह भी कहा कि जिन लोगों को निकाय आरक्षण से संबंधित कोई दिक्कत है, वे उसे पार्टी फोरम पर ही उठाएं, न कि मीडिया के सामने। उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने निर्धारित कार्य और जिम्मेदारियों के तहत इस मामले को देखें। अगर किसी को पार्टी के अंदर कोई समस्या है, तो वे अपनी बात प्रदेश अध्यक्ष या संबंधित अन्य जिम्मेदार नेताओं से संपर्क करके रख सकते हैं।
भट्ट ने यह भी कहा कि इस संबंध में कोई भी सार्वजनिक बयान न देना, न केवल पार्टी की एकता को कमजोर करता है, बल्कि यह पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन भी है। पार्टी के लिए अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है और पार्टी नेतृत्व इस पर कोई समझौता नहीं करेगा।
भाजपा की कार्यशैली और अनुशासन
पार्टी के अनुशासन को लेकर महेंद्र भट्ट ने स्पष्ट किया कि भाजपा हमेशा से अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से अनुशासन का पालन करने की अपेक्षा करती है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का मुख्य उद्देश्य हमेशा जनता की सेवा करना है, और इसके लिए पार्टी के सभी सदस्य पार्टी के नियमों और नीतियों का पालन करें।
भट्ट ने यह कहा कि निकाय आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर पार्टी के भीतर चर्चा होनी चाहिए, और यह चर्चा हमेशा पार्टी फोरम तक ही सीमित रहनी चाहिए। किसी भी मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाने से केवल पार्टी के अनुशासन और कार्यशैली पर असर पड़ता है, जिससे पार्टी की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने आगे कहा, “हमारे लिए पार्टी का अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो वह उसे पार्टी के भीतर ही उठाए। अगर यह मुद्दा सार्वजनिक रूप से उठाया गया तो यह पार्टी के लिए सही नहीं होगा।”