उत्तराखंड राज्य सिविल-प्रवर सेवा परीक्षा 2024 (पीसीएस) को लेकर एक बड़ी खबर आई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा को स्थगित करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग (UKPSC) ने परीक्षा को स्थगित कर दिया और अब नई तिथि की घोषणा जल्द ही की जाएगी।
यह आदेश उस समय आया, जब पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में सफल एक उम्मीदवार, हिमांशु तोमर ने परीक्षा के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलावों को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि आयोग ने परीक्षा के अंतिम समय में हिन्दी के तीन प्रश्नपत्रों के पाठ्यक्रम में बदलाव किया, जिससे परीक्षा में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को पढ़ाई का उपयुक्त समय नहीं मिला और उनका अधिकार प्रभावित हुआ।
पीसीएस मुख्य परीक्षा में हुए पाठ्यक्रम में बदलाव पर हुआ विवाद
गुरुवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की पीठ ने हिमांशु तोमर की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में यह तर्क रखा गया कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 14 मार्च 2024 को पीसीएस मुख्य परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया था, जिसमें परीक्षा की तारीखें 16 नवंबर से 19 नवंबर 2024 के बीच निर्धारित की गई थीं।
लेकिन, 4 नवंबर 2024 को आयोग ने अचानक हिन्दी विषय के तीन प्रश्नपत्रों के पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया, जिससे मुख्य परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए तैयारी में गड़बड़ी आ गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि आयोग का यह बदलाव एकदम आखिरी समय में किया गया, जिससे उन्हें इन बदलावों को पढ़ने और तैयारी करने का उचित समय नहीं मिला।
हिमांशु तोमर ने अदालत में यह भी आरोप लगाया कि आयोग का यह कदम संविधान की धारा 14 (समानता का अधिकार) और धारा 16 (किसी पद के लिए नियुक्ति के अधिकार) का उल्लंघन करता है। उन्होंने आयोग से यह मांग की थी कि 4 नवंबर को किए गए पाठ्यक्रम में बदलाव को रद्द किया जाए, ताकि परीक्षा में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके और कोई भी उम्मीदवार अनुचित तरीके से प्रभावित न हो।
कोर्ट ने दी आयोग को समय, फिर स्थगन का आदेश
याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा। आयोग के अधिवक्ता ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव का उद्देश्य परीक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना था, लेकिन अदालत में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उम्मीदवारों को इन बदलावों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है।
आयोग के अधिवक्ता ने अदालत से यह आग्रह किया कि परीक्षा की तिथियों को 15 दिन के लिए स्थगित करने की अनुमति दी जाए, ताकि उम्मीदवारों को तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिल सके। कोर्ट ने आयोग के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और इसके बाद उच्च न्यायालय ने पीसीएस मुख्य परीक्षा को स्थगित करने का आदेश पारित किया।
आयोग ने जारी किया स्थगन नोटिफिकेशन
कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करते हुए पीसीएस मुख्य परीक्षा को फिलहाल स्थगित कर दिया। आयोग ने यह भी कहा कि परीक्षा की नई तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी। इस समय, परीक्षा के लिए तैयार हो रहे उम्मीदवारों को राहत मिली है, क्योंकि अब उन्हें पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों के हिसाब से अपनी तैयारी को फिर से व्यवस्थित करने का मौका मिलेगा।
नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया कि आयोग इस फैसले के बाद उम्मीदवारों के लिए किसी भी प्रकार की असुविधा को दूर करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही आयोग ने यह सुनिश्चित करने की बात भी कही कि भविष्य में ऐसी समस्याएं उत्पन्न न हों, ताकि उम्मीदवारों को समय पर और उचित तरीके से तैयारी का अवसर मिल सके।
परीक्षा में बदलाव के कारण छात्रों में चिंता
पीसीएस मुख्य परीक्षा में पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव ने उम्मीदवारों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया था। खासकर, जिन छात्रों ने परीक्षा के लिए पूरी तरह से अपनी तैयारी कर ली थी, उन्हें इस बदलाव से अचानक असुविधा का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब स्थगन के बाद छात्रों को इस बदलाव को समझने और उसे तैयार करने का पर्याप्त समय मिलेगा, जिससे उनका मानसिक दबाव कम हो सकता है।
अभ्यर्थियों ने इस फैसले का स्वागत किया है और यह उम्मीद जताई है कि आयोग की ओर से जल्द ही एक नई परीक्षा तिथि जारी की जाएगी, ताकि वे अपनी तैयारी को सही तरीके से अंतिम रूप दे सकें।
राज्य की सिविल सेवा परीक्षा में स्थगन की संभावना
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या राज्य की सिविल सेवा परीक्षा के अन्य पहलुओं में भी कोई बदलाव हो सकता है। हालांकि, फिलहाल केवल पीसीएस मुख्य परीक्षा के स्थगन की बात सामने आई है, लेकिन यह संकेत देता है कि आयोग को अपने परीक्षा संचालन के तरीके पर पुनः विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में पाठ्यक्रम में बदलाव करते समय उम्मीदवारों को उचित समय मिले, ताकि वे अपनी पूरी तैयारी के साथ परीक्षा में भाग ले सकें। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि परीक्षा के संचालन में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, जिससे छात्रों को नुकसान पहुंचे।