
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार कई महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इन बदलावों का उद्देश्य न सिर्फ पारदर्शिता और सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करना है, बल्कि मतदाता और चुनाव में लगे कर्मियों की सुविधा व सुरक्षा को भी ध्यान में रखना है। पिछले पंचायत चुनावों की तुलना में इस बार का चुनाव तकनीक और निगरानी के लिहाज से कहीं ज्यादा आधुनिक और सख्त व्यवस्था वाला होगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार के नेतृत्व में घोषित इन सुधारों में खर्च की सीमा का विस्तार, खर्च की निगरानी के लिए अधिकारियों की नियुक्ति, रेंडमाइजेशन के जरिए चुनाव ड्यूटी, ऑनलाइन वोटर लिस्ट और चुनाव नतीजों की वेबसाइट पर लाइव अपडेट जैसी कई पहल शामिल हैं।
खर्च सीमा बढ़ी, निगरानी भी होगी कड़ी
पंचायत चुनावों में उम्मीदवारों के लिए तय खर्च सीमा में इस बार वृद्धि की गई है, लेकिन इसके साथ ही खर्च पर नियंत्रण को लेकर भी आयोग पूरी तरह सतर्क हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने हर जिले में खर्च की निगरानी के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। ये अधिकारी किसी भी समय उम्मीदवारों से खर्च का ब्यौरा मांग सकेंगे।
इस फैसले का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है, ताकि पैसे के बल पर मतदाताओं को प्रभावित करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके। आयोग ने साफ किया है कि जो भी उम्मीदवार निर्धारित खर्च सीमा का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहली बार ऑनलाइन वोटर लिस्ट, नाम देखना हुआ आसान
राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली बार वोटर लिस्ट को पूरी तरह ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। अब मतदाता अपनी ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट आयोग की वेबसाइट
https://secresult.uk.gov.in/votersearch/searchvotermapping
पर जाकर आसानी से देख सकते हैं।
इस सेवा के तहत मतदाता अपना नाम खोज सकते हैं, पूरी वोटर लिस्ट डाउनलोड कर सकते हैं और सूची में गड़बड़ी होने पर शिकायत भी कर सकते हैं। आयोग का कहना है कि इसका उद्देश्य मतदाताओं और प्रत्याशियों को नाम की पुष्टि में किसी प्रकार की कठिनाई से बचाना है। यह सुविधा मोबाइल और कंप्यूटर दोनों पर उपलब्ध है।
सॉफ्टवेयर से तय होगी चुनाव ड्यूटी, पारदर्शिता को मिलेगा बल
इस बार चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति पूरी तरह रेंडमाइजेशन सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ड्यूटी में किसी भी प्रकार का पक्षपात या भेदभाव न हो।
आयोग के अनुसार कुल 95,909 अधिकारी व कर्मचारी पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगाए जाएंगे, जिनमें:
- पीठासीन अधिकारी: 11,849
- मतदान अधिकारी: 47,910
- सेक्टर व जोनल मजिस्ट्रेट, नोडल और प्रभारी अधिकारी: 450
- सुरक्षाकर्मी: 35,700
इस प्रक्रिया से ड्यूटी में पारदर्शिता के साथ-साथ उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों का विश्वास भी बढ़ेगा।
मतदान कर्मियों की मृत्यु पर 10 लाख का मुआवजा
चुनाव में लगे कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आयोग ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। यदि किसी मतदान अधिकारी या कर्मचारी की चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत्यु होती है, तो उसके परिजनों को ₹10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल ने जानकारी दी कि शासन से इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल चुकी है और सोमवार को सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी किया जाएगा। इस पहल को अधिकारियों और कर्मचारियों ने सकारात्मक रूप में लिया है। कई कर्मचारी संगठनों ने आयोग के इस फैसले की सराहना की है, जिससे चुनाव ड्यूटी को लेकर उनके मन में भरोसा पैदा हुआ है।
चुनाव नतीजे भी होंगे ऑनलाइन, वेबसाइट पर लाइव अपडेट
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार पंचायत चुनावों के नतीजों को भी पहली बार ऑनलाइन जारी करने का फैसला किया है। आयोग की आधिकारिक वेबसाइट
https://sec.uk.gov.in
पर जैसे-जैसे ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के नतीजे आएंगे, उन्हें रियल टाइम में अपडेट किया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि यह सुविधा पहले नगर निकाय चुनावों में सफलतापूर्वक अपनाई गई थी और अब पंचायत चुनावों में भी इसे लागू किया जा रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि जनता को भी समय रहते जानकारी उपलब्ध होगी।
तकनीक और पारदर्शिता पर फोकस
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत चुनावों को पूरी तरह पारदर्शी, तकनीकी रूप से उन्नत और जनसहभागिता आधारित बनाने पर उसका विशेष ध्यान है। ऑनलाइन वोटर लिस्ट से लेकर रेंडमाइजेशन के जरिए ड्यूटी आवंटन और चुनाव नतीजों की वेबसाइट पर प्रस्तुति तक सभी पहलुओं में यह दृष्टिकोण झलकता है।
इससे पहले के चुनावों में जहां मैन्युअल प्रक्रियाओं की वजह से गड़बड़ियां और विवाद सामने आते थे, वहीं इस बार डिजिटल साधनों के उपयोग से इन समस्याओं पर अंकुश लगाने की तैयारी है।