
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का दौर एक बार फिर शुरू हो चुका है और राज्य निर्वाचन आयोग को इस बार 70 से 75 प्रतिशत तक मतदान होने की उम्मीद है। यह अनुमान आयोग ने मतदाता संख्या में हुए उल्लेखनीय इजाफे के आधार पर लगाया है। 2019 के पिछले पंचायत चुनावों में 69.59 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। इस बार मतदाताओं की संख्या में करीब पांच लाख की बढ़ोतरी हुई है, जिससे मतदान प्रतिशत में भी इजाफा होने की संभावना है।
पिछले चुनाव के आंकड़े और जिलेवार मतदान दर
2019 में आयोजित हुए पंचायत चुनावों में जिलेवार मतदान दर में उल्लेखनीय अंतर देखा गया था। 12 जिलों में सबसे अधिक मतदान ऊधमसिंह नगर में 84.26 प्रतिशत रहा था, जबकि सबसे कम मतदान अल्मोड़ा जिले में 60.04 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
कुमाऊं मंडल के जिलों में मतदान प्रतिशत कुछ इस प्रकार रहा:
- ऊधमसिंह नगर: 84.26%
- नैनीताल: 75.07%
- चंपावत: 67.82%
- पिथौरागढ़: 65.54%
- बागेश्वर: 63.99%
- अल्मोड़ा: 60.04%
गढ़वाल मंडल के जिलों में भी मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया:
- उत्तरकाशी: 78.43%
- देहरादून: 77.54%
- चमोली: 65.65%
- टिहरी गढ़वाल: 61.19%
- पौड़ी गढ़वाल: 61.79%
- रुद्रप्रयाग: 62.98%
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में मतदान की प्रवृत्ति में अंतर है। मैदानी जिलों में जहां वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा, वहीं कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में कम भागीदारी देखने को मिली।
इस बार कहां हो रहा मतदान
राज्य के विभिन्न विकासखंडों में आज यानी 24 जुलाई को पंचायत चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया जारी है। जिन विकासखंडों में आज मतदान हो रहा है, वे इस प्रकार हैं:
अल्मोड़ा जिले में: ताकुला, धौलादेवी, ताड़ीखेत, भैंसियाछाना, लमगड़ा और चौखुटिया।
ऊधमसिंह नगर में: खटीमा, सितारगंज, गदरपुर और बाजपुर।
चंपावत में: लोहाघाट एवं पाटी।
पिथौरागढ़ में: धारचूला, डीडीहाट, मुनस्यारी और कनालीछीना।
नैनीताल में: बेतालघाट, ओखलकांडा, रामगढ़ और धारी।
बागेश्वर में: बागेश्वर, गरुड़ और कपकोट।
उत्तरकाशी में: मोरी, पुरोला और नौगांव।
चमोली में: देवाल, थराली, ज्योतिर्मठ और नारायणबगड़।
टिहरी गढ़वाल में: जौनपुर, प्रतापनगर, जाखणीधार, थौलधार और भिलंगना।
देहरादून में: चकराता, कालसी और विकासनगर।
पौड़ी गढ़वाल में: खिर्सू, पाबौ, थलीसैंण, नैनीडांडा, बीरोंखाल, रिखणीखाल, एकेश्वर और पोखड़ा।
रुद्रप्रयाग में: ऊखीमठ, जखोली और अगस्त्यमुनि।
इन क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
पांच लाख नए मतदाता: बदलाव की बयार?
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस बार उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में करीब पांच लाख का इजाफा हुआ है। इससे चुनावी प्रक्रिया में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। विशेष रूप से युवा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ने से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदान प्रतिशत में इजाफा लगभग तय है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह राज्य के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।
आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के विशेष इंतजाम
मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए इस बार निर्वाचन आयोग ने एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) और डीडीआरएफ (जिला आपदा प्रतिक्रिया बल) की तैनाती की है। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मतदान केंद्रों पर सुरक्षा टीमों के साथ-साथ विशेष निगरानी की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, कई दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्रों में पोलिंग पार्टियों के साथ राहत एवं बचाव दल भी तैनात किए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।
राज्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सभी जिलों में मतदान प्रक्रिया की लगातार निगरानी की जा रही है। बूथ स्तर पर वीडियोग्राफी, ड्रोन निगरानी और थर्मल स्कैनिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है।
महिला एवं वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी
पिछले चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी को लेकर भी सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहे हैं। महिला मतदाताओं के लिए विशेष सहायता केंद्र बनाए गए हैं और दिव्यांगजनों के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था भी कई मतदान केंद्रों पर की गई है।