
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में हुए पेपर लीक कांड की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अब न्यायिक जांच आयोग गठित कर दिया है। यह एकल सदस्यीय आयोग सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में कार्य करेगा, जिन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबे समय तक सेवा देने का अनुभव रहा है।
इस आयोग को विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट का संज्ञान लेने और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी मार्गदर्शन देने की ज़िम्मेदारी दी गई है। आयोग को राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए शिकायतों, सूचनाओं और तथ्यों की जांच का भी अधिकार होगा।
पेपर लीक: कैसे सामने आया मामला?
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा 21 सितंबर 2025 को राज्य भर में आयोजित की गई थी। लेकिन परीक्षा के दौरान हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र में तीन पन्नों का प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले ही बाहर आ गया और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पेपर लीक की सूचना मिलते ही राज्य में हड़कंप मच गया और परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे। सरकार ने तुरंत संज्ञान लेते हुए इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए SIT (विशेष जांच टीम) का गठन किया।
SIT जांच से न्यायिक आयोग तक: जांच का घटनाक्रम
पेपर लीक मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया कि इस जांच की न्यायिक निगरानी होनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया था। लेकिन न्यायमूर्ति वर्मा ने निजी कारणों और समय की कमी का हवाला देते हुए सरकार की ओर से सौंपी गई जिम्मेदारी स्वीकार करने में असमर्थता जता दी।
इसके बाद सरकार ने तेजी से कदम उठाते हुए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में एक एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन का आदेश जारी किया। यह आदेश गृह विभाग की ओर से जारी किया गया।
आयोग की शक्तियां और कार्यक्षेत्र
SIT की रिपोर्ट का अध्ययन: 24 सितंबर को गठित SIT ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। आयोग इस रिपोर्ट का संज्ञान लेकर, जरूरत पड़ने पर विधिक मार्गदर्शन देगा। स्वतंत्र जांच का अधिकार: आयोग को राज्य भर से प्राप्त शिकायतों, सूचनाओं और तथ्यों की जांच करने का भी अधिकार होगा। विशेषज्ञों का सहयोग लेने की छूट: आयोग को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह अपनी जांच में अन्य प्रशासनिक अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों, शिक्षा विशेषज्ञों व कानूनी सलाहकारों की मदद ले सके। राज्यव्यापी कार्यक्षेत्र: आयोग का कार्यक्षेत्र पूरा उत्तराखंड राज्य होगा, जिससे वह इस घोटाले की गहराई तक जाकर जांच कर सके। समयबद्ध रिपोर्ट की अपेक्षा: सरकार ने आयोग से अपेक्षा की है कि वह शीघ्रातिशीघ्र रिपोर्ट सौंपे ताकि मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
पेपर लीक का असर: साख पर सवाल, अभ्यर्थियों में आक्रोश
उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रक्रिया में पेपर लीक की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार मामला बहुत बड़े स्तर पर सामने आया, जिससे लाखों परीक्षार्थियों की मेहनत और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा, जिसमें पुलिस विभाग, सचिवालय, राजस्व विभाग सहित कई सरकारी विभागों में नियुक्तियों के लिए परीक्षा ली जा रही थी, अब उसकी वैधता संदेह के घेरे में आ गई है।
अभ्यर्थियों का गुस्सा
हरिद्वार, देहरादून, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ समेत कई जिलों में छात्र संगठनों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किए। इनका कहना है कि “पेपर लीक एक सुनियोजित साजिश है, जिसके पीछे कई बड़े नाम हो सकते हैं। सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को जेल भेजना चाहिए।”
SIT की प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या?
SIT की रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार केंद्र में ही प्रश्नपत्र लीक हुआ था। एक शिक्षक और परीक्षा केंद्र प्रभारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र की फोटो परीक्षा से पहले वायरल हो चुकी थी, जिससे इसकी पूर्व नियोजित योजना का अंदेशा है। SIT ने 10 से अधिक लोगों से पूछताछ की और डिजिटल साक्ष्य जुटाए हैं। अब न्यायिक आयोग SIT की इस रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगा और कानूनन आगे की प्रक्रिया को निर्देशित करेगा।
कौन हैं न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी?
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी उत्तराखंड हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान विवादास्पद और संवेदनशील मामलों की निष्पक्ष सुनवाई के लिए जाने जाते हैं। उनके अनुभव और निष्पक्षता को देखते हुए सरकार ने उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उनसे यह उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले की तह तक जाकर एक पारदर्शी रिपोर्ट पेश करेंगे जिससे राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं की साख को पुनः स्थापित किया जा सके।
सरकार की प्राथमिकता: पारदर्शिता और समयबद्धता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मामले को लेकर स्पष्ट किया है कि “सरकार किसी भी दोषी को बख्शने वाली नहीं है। जो भी लोग इस घोटाले में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” सरकार की ओर से यह भी संकेत मिले हैं कि जांच रिपोर्ट आने के बाद भर्ती परीक्षा को रद्द करने या पुनः आयोजित करने पर भी विचार किया जा सकता है।