गणतंत्र दिवस परेड 2025 के लिए भारत सरकार ने उत्तराखंड राज्य की “साहसिक खेल” (एडवेंचर स्पोर्ट्स) को कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित करने के लिए अंतिम रूप से चयनित कर लिया है। यह घोषणा करते हुए महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने बताया कि अक्टूबर 2024 में रक्षा मंत्रालय के अधीन गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों में उत्तराखंड की झांकी को उत्कृष्ट मानते हुए उसे अंतिम चयन के लिए चुना गया है। इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य के नोडल अधिकारी और संयुक्त निदेशक, सूचना के.एस. चौहान ने अपनी टीम के साथ दिल्ली में विशेषज्ञ समिति के सामने राज्य की झांकी का डिज़ाइन, मॉडल और संगीत का प्रस्तुतीकरण किया था, जिसे शानदार सराहना प्राप्त हुई। इसके बाद भारत सरकार ने 21 दिसम्बर 2024 को उत्तराखंड राज्य की झांकी के डिज़ाइन और मॉडल को मंजूरी दी जो इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित की जाएगी।
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर खुशी जताते हुए कहा, “यह हमारे राज्य के लिए गर्व का विषय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी का चयन हुआ है। इस बार झांकी में उत्तराखंड की पहचान, प्राकृतिक सौंदर्य और एडवेंचर स्पोर्ट्स की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। हमारा राज्य न केवल अपने आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी अग्रणी है। मैं झांकी के निर्माण में जुड़े सभी कलाकारों और अधिकारियों को बधाई देता हूं। हम इस झांकी के माध्यम से उत्तराखंड को पर्यटन और एडवेंचर स्पोर्ट्स के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में और मजबूती से कदम बढ़ाएंगे।”
उत्तराखंड की झांकी में इस बार राज्य के प्रमुख साहसिक खेलों को प्रदर्शित किया जाएगा। झांकी के अग्रभाग में उत्तराखंड की पारंपरिक कला एपण (लोक चित्रकला) को दिखाते हुए एक महिला को उत्तराखण्डी परिधान में चित्रित किया गया है। झांकी के मध्य और पिछले भाग में राज्य के प्रमुख साहसिक खेलों का दृश्य प्रस्तुत किया गया है, जिसमें रॉक क्लाइम्बिंग, पैराग्लाइडिंग, बन्जी जम्पिंग, हिल साइकलिंग, ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, औली में स्कीइंग और ऋषिकेश में जिप-लाइनिंग जैसे खेलों को समाहित किया गया है। इन खेलों के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की साहसिक पर्यटन क्षमता को पूरी दुनिया के सामने लाया जाएगा। उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है अब साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। इस झांकी में प्रदर्शित साहसिक खेलों के दृश्य न केवल राज्य की विविधता को प्रदर्शित करेंगे बल्कि यह भी दर्शाएंगे कि उत्तराखंड ने कैसे अपने पर्यटन उद्योग में साहसिक खेलों को एक प्रमुख आकर्षण बना लिया है।
- सांस्कृतिक और साहसिक खेलों का संगम: झांकी में उत्तराखण्ड के समृद्ध सांस्कृतिक तत्वों के साथ-साथ साहसिक खेलों की जीवंत छवियां दिखेंगी, जो राज्य की पहचान को और भी मजबूत करेंगी।
- औली और ऋषिकेश का योगदान: औली में स्कीइंग और ऋषिकेश में जिप-लाइनिंग जैसे साहसिक खेलों का प्रदर्शन उत्तराखण्ड के साहसिक खेल क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखता है। यह दर्शकों को राज्य के पर्यटन स्थल और उनके साहसिक खेल के महत्व को समझने का अवसर देगा।
- प्राकृतिक सौंदर्य: उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौंदर्य, विशेषकर उसकी हरी-भरी घाटियाँ, बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और उबड़-खाबड़ रास्ते, राज्य की संस्कृति और साहसिक खेलों के चित्रण में एक अभिन्न हिस्सा होंगे।
इस बार उत्तराखंड राज्य सहित कुल 15 प्रदेशों की झांकी का गणतंत्र दिवस परेड के लिये अन्तिम चयन हुआ है, जिसमें आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित चण्डीगढ़ सहित दादर नागर हवेली एवं दमन व दिव केन्द्र शासित प्रदेश का चयन किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड राज्य की झांकी का यह लगातार तीसरा वर्ष होगा। राज्य ने वर्ष 2003 से लेकर 2023 तक कर्तव्य पथ पर अपनी विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया है। निम्नलिखित झांकियों का प्रदर्शन राज्य ने विभिन्न वर्षों में किया है:
- वर्ष 2003 – फुलदेई
- वर्ष 2005 – नंदा राजजात
- वर्ष 2006 – फूलों की घाटी
- वर्ष 2007 – कार्बेट नेशनल पार्क
- वर्ष 2009 – साहसिक पर्यटन
- वर्ष 2010 – कुम्भ मेला हरिद्वार
- वर्ष 2014 – जड़ी-बूटी
- वर्ष 2015 – केदारनाथ
- वर्ष 2016 – रम्माण
- वर्ष 2018 – ग्रामीण पर्यटन
- वर्ष 2019 – अनाशक्ति आश्रम (कौसानी प्रवास)
- वर्ष 2021 – केदारखंड (तृतीय स्थान प्राप्त)
- वर्ष 2022 – प्रगति की ओर बढ़ता उत्तराखंड
- वर्ष 2023 – मानसखंड (प्रथम स्थान प्राप्त)
इसके अलावा 2024 में भारत पर्व के दौरान उत्तराखंड की झांकी का प्रदर्शन लाल किले पर भी किया गया था जो राज्य के कला और संस्कृति की शक्ति को प्रदर्शित करता है।