
उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ धामी सरकार का एक्शन लगातार जारी है। पिछले एक महीने से प्रशासन द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है, जिसके तहत अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में 110 मदरसों को सील किया जा चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रशासन को अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए पूरी छूट दी है, और इसके प्रभाव से प्रदेशभर में बड़े स्तर पर कार्रवाई की जा रही है।
अवैध मदरसों का नेटवर्क उजागर
बृहस्पतिवार को रुद्रपुर में 4, किच्छा में 8, बाजपुर में 3, जसपुर में 1 और हरिद्वार में 2 अवैध मदरसों को सील किया गया। इससे पहले, देहरादून और पौड़ी जैसे जिलों में भी प्रशासन ने बड़े स्तर पर अवैध मदरसों पर कार्रवाई करते हुए 92 मदरसों को सील किया था। अब तक उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जनपद में 16 और हरिद्वार जिले में 2 मदरसों को सील किया जा चुका है, जिससे राज्यभर में कुल 110 अवैध मदरसों को सील किया जा चुका है।
बिना सरकारी अनुमति के संचालित हो रहे थे ये मदरसे
इन सभी मदरसों के खिलाफ कार्रवाई प्रशासन द्वारा की जा रही है, क्योंकि ये सभी बिना राज्य सरकार की अनुमति के संचालित किए जा रहे थे। राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी भी धार्मिक या शैक्षिक संस्थान का संचालन अवैध माना जाता है। इन मदरसों में छात्रों को शिक्षा देने के नाम पर संभावित असामाजिक और अवैध गतिविधियाँ की जा रही थीं, जिसके कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य प्रशासन को पूरी शक्ति के साथ कार्रवाई करने का आदेश दिया।
मुख्यमंत्री का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे पर अपनी सख्ती जाहिर करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में राज्य के मूल स्वरूप के साथ कोई भी छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी लोग धर्म की आड़ में अवैध गतिविधियों में संलिप्त होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना था, “राज्य सरकार प्रदेश की सुरक्षा और सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और हम किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों को नहीं बर्दाश्त करेंगे।”
प्रशासन की जांच तेज
प्रशासन ने अब इन अवैध मदरसों के संचालकों और उनके कार्यों के पीछे के तंत्र की जांच भी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन मदरसों का संचालन किस तरह से हो रहा था और यहां किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही थी। प्रशासन ने इस संबंध में विभिन्न जिला प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी है, ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार के नेटवर्क का संचालन किया जा रहा है और इसके पीछे किसका हाथ है।
साथ ही, प्रशासन ने इन मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों की सुरक्षा और भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए भी योजनाएं बनाई हैं। इन मदरसों में जो छात्र अध्ययन कर रहे थे, उन्हें उचित सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि उनका शैक्षिक नुकसान न हो।
क्या है अवैध मदरसों की समस्या?
अवैध मदरसे ऐसे धार्मिक शिक्षा संस्थान होते हैं, जो बिना सरकार से अनुमति प्राप्त किए कार्यरत होते हैं। ये संस्थान अक्सर समाज में असमाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और सशस्त्र संघर्ष के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देने में संलिप्त पाए जाते हैं। ऐसे मदरसे आमतौर पर सरकार की नज़र से बचकर काम करते हैं और इनके संचालकों की पहचान भी कई बार मुश्किल होती है। हालांकि, जब राज्य सरकार इस पर कार्रवाई करती है, तो यह सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर सवाल उठाता है।
धामी सरकार की इस कड़ी कार्रवाई से यह साफ है कि प्रदेश में अवैध गतिविधियों को किसी भी सूरत में नहीं बढ़ने दिया जाएगा और इससे किसी भी व्यक्ति या समूह को कोई राहत नहीं दी जाएगी।