
यमुनोत्री घाटी में बुधवार रातभर हुई मूसलधार बारिश ने तबाही मचा दी। बारिश के कारण यमुनोत्री हाईवे जगह-जगह से बंद हो गया है और क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्याना चट्टी क्षेत्र में यमुना नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे नदी किनारे स्थित कई होटलों की निचली मंजिलें पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं। वहीं, यमुनोत्री हाईवे पर बना मोटर पुल भी खतरे की जद में आ गया है, जिससे आने वाले दिनों में और ज्यादा नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
हाईवे पर जगह-जगह सड़क क्षतिग्रस्त, यातायात पूरी तरह ठप
रातभर हुई लगातार बारिश से यमुनोत्री हाईवे पर कई स्थानों पर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। भारी भूस्खलन और पानी के तेज बहाव से सड़कों की मिट्टी बह गई है, जिससे मार्गों पर आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। इससे न केवल यमुनोत्री धाम बल्कि आसपास के करीब डेढ़ दर्जन गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। ग्रामीण अब पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं और आपातकालीन सेवाओं की जरूरत महसूस की जा रही है।
स्याना चट्टी में हालात गंभीर, होटल डूबे, पुल पर खतरा
स्याना चट्टी में स्थित यमुना नदी पर बनी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे यहां मौजूद कई होटलों की पहली मंजिल तक पानी पहुंच चुका है, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। स्थानीय निवासी जयपाल सिंह रावत ने बताया कि उनके होटल की पहली मंजिल पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है और सारा सामान नष्ट हो गया है। उन्होंने कहा कि रातभर क्षेत्र के लोग जागते रहे, क्योंकि हर क्षण भय बना रहा कि कहीं पुल टूट न जाए या इमारत ढह न जाए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो स्याना चट्टी में स्थित मोटर पुल कभी भी ढह सकता है। होटल मालिकों और रहवासियों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और समय रहते कार्रवाई न करने से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
गंगोत्री हाईवे भी बाधित, सैकड़ों यात्री फंसे
उधर, गंगोत्री हाईवे पर भी हालात खराब हैं। संगलाई और हेलगूगाड के बीच हाईवे बंद हो गया है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्री सुबह से वहीं फंसे हुए हैं और ना खाने की व्यवस्था है, ना कोई वैकल्पिक मार्ग। कई श्रद्धालु और पर्यटक सुबह से बारिश में भीगते हुए राहत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भटवाड़ी में भी हाईवे का लगभग 10 मीटर हिस्सा भूस्खलन से धंस गया है। इससे मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है और भारी वाहनों की आवाजाही तो दूर, पैदल निकल पाना भी मुश्किल हो गया है।
सीएम धामी बोले – ‘तीर्थयात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता’
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कहा है कि राज्य सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा है। उन्होंने कहा, “हम मौसम की स्थिति को देखते हुए आगे की यात्रा के निर्णय लेंगे। सभी जिला अधिकारी, आपदा प्रबंधन दल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पूरी तरह सतर्क और तैनात हैं।” मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी और जल्द ही वैकल्पिक मार्गों तथा राहत शिविरों की स्थापना की जाएगी।
स्थानीय लोगों में आक्रोश, प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
हालांकि, स्थानीय लोगों में प्रशासन की सुस्ती को लेकर गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासी जयपाल सिंह रावत, प्रवीण राणा और चित्रमोहन सिंह ने कहा कि प्रशासन को पहले से इस स्थिति की आशंका थी, लेकिन कोई भी ठोस कदम समय पर नहीं उठाया गया। जयपाल सिंह रावत ने बताया, “यह कोई अचानक आई आपदा नहीं है। बारिश हर साल होती है, लेकिन इस बार भी कोई तैयारी नहीं की गई।” उन्होंने कहा कि यदि अब भी प्रशासन नहीं चेता, तो पुल और होटल इमारतें पूरी तरह तबाह हो सकती हैं। उन्होंने तत्काल प्रभाव से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने और स्थायी समाधान निकालने की मांग की।
राहत और बचाव कार्यों की तैयारी में जुटा प्रशासन
दूसरी ओर, जिला प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि राहत कार्य युद्धस्तर पर शुरू किए जा रहे हैं। प्रभावित इलाकों में बचाव दल रवाना कर दिए गए हैं और जल्द ही फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही, मौसम विभाग की ओर से अगले 48 घंटे तक और भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, जिससे प्रशासन और अधिक सतर्क हो गया है।