
गणतंत्र दिवस पर विभिन्न राज्यों की झांकियों के बीच उत्तराखण्ड की “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” पर आधारित झांकी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जिससे राज्यवासियों को गर्व महसूस हुआ। इस ऐतिहासिक सफलता के बाद, झांकी के कलाकारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास में मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया और उनकी कड़ी मेहनत की सराहना की।
उत्तराखण्ड की झांकी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर तृतीय स्थान प्राप्त कर राज्य का नाम रोशन किया। इस सम्मान के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी में शामिल सभी 16 कलाकारों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 50-50 हजार रुपये प्रदान करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुरस्कार से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और साहसिक खेलों को देशभर में विशेष पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार हमारे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और साहसिक खेलों के योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस तरह के आयोजनों से राज्य की पहचान बढ़ती है और उत्तराखण्ड के लोगों की मेहनत का फल मिल रहा है। “हमारा राज्य न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब साहसिक खेलों के लिए भी पहचाना जा रहा है। यह बदलाव राज्य सरकार की नीति का हिस्सा है, जिसमें हम इन खेलों के लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
यह भी उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखण्ड की झांकी को लोगों की पसंद के आधार पर तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” पर आधारित इस झांकी में उत्तराखण्ड के लोक कला, संस्कृति, साहसिक खेलों और धार्मिक विरासत को प्रदर्शित किया गया था। इस झांकी को राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह झांकी राज्य सरकार द्वारा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और साहसिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए बनाई गई थी। “गणतंत्र दिवस के इस आयोजन के माध्यम से हमने प्रदेश की संस्कृति और साहसिक खेलों को देश और विदेश में प्रदर्शित किया,” उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार साहसिक खेलों के विकास के लिए विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार साहसिक खेलों के लिए अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए हम विभिन्न योजनाएं और परियोजनाएं लाकर इन खेलों को राज्य और देश स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।”
राज्य में साहसिक खेलों का प्रचलन बढ़ने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। उत्तराखण्ड को अपनी पर्वत श्रृंखलाओं और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है, और अब राज्य सरकार इन संसाधनों का सही उपयोग करके साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए गंभीर है।
इस अवसर पर झांकी के कलाकारों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अपनी सफलता का जश्न मनाया। कलाकारों में सुरेश राजन, तरुण कुमार, राजेश कुमार, रवीन्द्र कुमार, अभिषेक पाण्डेय, अमन विश्वकर्मा, शुभम बेरी, रेखा पूना, कमला पन्त, चन्द्रदीप राजन, प्रियंका आर्या साही, अंजलि आर्या, रश्मि पन्त, निकिता आर्या, साक्षी बोहरा शामिल थे। इन कलाकारों ने अपनी कला और प्रदर्शन के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल गणतंत्र दिवस परेड में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया।
यह उल्लेखनीय है कि इन कलाकारों ने कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ झांकी को जीवंत किया। उन्होंने उत्तराखण्ड की परंपरा, लोक कला और साहसिक खेलों को प्रस्तुत कर राज्य की संस्कृति को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने सभी कलाकारों को उनकी उत्कृष्ट कला और योगदान के लिए बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से राज्य की पहचान को और मजबूती मिलेगी।
उत्तराखण्ड का सांस्कृतिक और साहसिक धरोहर अत्यंत समृद्ध है, जो देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाता है। उत्तराखण्ड में स्थित पर्वतीय क्षेत्र साहसिक खेलों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां के पहाड़ों, नदियों और वन्य जीवन में साहसिक खेलों के आयोजन के लिए बेहतरीन संभावनाएं हैं।
इसके अलावा, राज्य की संस्कृति में लोक कला, धार्मिक त्योहारों और संगीत का महत्वपूर्ण स्थान है। इन सभी तत्वों को समाहित करके उत्तराखण्ड ने अपनी झांकी में एक अद्वितीय प्रदर्शन पेश किया, जिसे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, बल्कि इसे गणतंत्र दिवस परेड में भी मान्यता मिली।