
पंजाब सरकार द्वारा चलाया जा रहा “युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान” लगातार तेज़ी पकड़ रहा है। 1 मार्च 2025 से लेकर अब तक, राज्य में 16,400 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 25,646 लोगों को नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस दौरान 1,059 किलोग्राम हेरोइन, 366 किलो अफीम, 215 क्विंटल भूकी, 29 किलो चरस, 405 किलो गांजा, 32.35 लाख नशीली गोलियां व कैप्सूल और 12.32 करोड़ रुपये की ड्रग मनी भी जब्त की गई है।
यह जानकारी बुधवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल और नशा मुक्ति मोर्चा के मुख्य प्रवक्ता बलतेज सिंह पन्नू ने दी।
जमीन पर दिख रहा है सरकार का एक्शन
पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन ने ड्रग माफिया के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई का रास्ता चुना है। ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के अंतर्गत हर जिले में सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।नशा तस्करों की जायदादें कुर्क की जा रही हैं। नशा मुक्ति केंद्रों को सुधार कर पुनर्वास पर ध्यान दिया जा रहा है। जन सहयोग और स्थानीय जागरूकता अभियान को केंद्र में रखा गया है।
बलतेज सिंह पन्नू ने कहा कि, “यह कोई साधारण अभियान नहीं है। यह एक जन आंदोलन है जिसमें समाज के हर वर्ग को शामिल करने की कोशिश की जा रही है। वार्डों और गांवों में नशे के खिलाफ शपथ दिलाई जा रही है और लोगों को तस्करों का साथ देने से बचने की अपील की जा रही है।”
नशा मुक्त पंजाब के लिए महिलाओं की भागीदारी जरूरी: अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस अभियान में महिलाओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि, “जब AAP ने पंजाब में सत्ता संभाली, तब नशा सबसे बड़ी समस्या थी। आज हमारा लक्ष्य है कि पंजाब को पूरी तरह नशा मुक्त बनाया जाए। इसमें महिलाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी घर में कोई पुरुष—चाहे वह बेटा, भाई, पति या पिता—नशा करता है, तो सबसे ज्यादा दुख महिलाओं को होता है। इसलिए मैं पंजाब की हर महिला से अपील करता हूं कि वह आगे आए और नशे के खिलाफ इस लड़ाई की अगुवाई करे।”
केजरीवाल ने यह भी बताया कि राज्य में अब सभी नशा मुक्ति केंद्रों को आधुनिक बनाया गया है। इनमें एसी, सीसीटीवी कैमरे, और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं ताकि नशा छोड़ने वालों को सम्मानजनक वातावरण मिल सके।
नशा मुक्ति केंद्रों का आधुनिकीकरण: एक बड़ा कदम
पहले राज्य के डि-एडिक्शन सेंटर यानी नशा मुक्ति केंद्र बदहाल स्थिति में थे। लेकिन अब सरकार ने हर केंद्र में एसी, सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं। प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की गई है। परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, और कौशल विकास पर भी काम हो रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि नशा करने वाला व्यक्ति सजा नहीं, बल्कि मदद पाए। यही कारण है कि पुनर्वास की प्रक्रिया को गंभीरता से लागू किया जा रहा है।
कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई: आंकड़ों में जानिसमाज से सहयोग की अपील
बलतेज सिंह पन्नू ने कहा कि नशे के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ सरकार या पुलिस की नहीं है, यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए सरकार लोगों को जागरूक कर रही है, स्कूलों, कॉलेजों और पंचायतों में अभियान चलाए जा रहे हैं।“मुझे नशा नहीं चाहिए” जैसे पोस्टर, बैनर, और डिजिटल प्रचार हो रहा है। बच्चों और युवाओं को खेल, योग, और सांस्कृतिक गतिविधियों में जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं।
तस्करों के खिलाफ सख्त नीति
पुलिस अब तस्करी से अर्जित संपत्ति को जब्त कर रही है। अब तक करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति सीज की जा चुकी है। तस्करों के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है। धालीवाल ने कहा, “तस्करों को अब न सिर्फ जेल जाना होगा, बल्कि उनकी अवैध कमाई भी छीनी जाएगी। यह सख्ती ही उनका मनोबल तोड़ेगी।”