
मानसून की झमाझम बारिश के चलते उत्तराखंड स्थित टिहरी झील का जलस्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। जल स्तर में हो रही इस बढ़ोतरी के कारण टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (THDC) ने एहतियातन झील से पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। झील के ऊपरी हिस्से में बने दो अनगेटेड साफ्ट स्पिल-वे के माध्यम से पानी छोड़ा जा रहा है। सुबह और शाम के समय प्रतिघंटा लगभग 1000 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड) पानी झील से छोड़ा जा रहा है, जबकि दिन के अन्य समय में पानी की मात्रा घटाकर 448 क्यूमेक्स रखी गई है।
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एल.पी. जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि झील में जल आगमन की गति काफी तेज है। सोमवार तक झील का जलस्तर 822.98 मीटर आरएल (रीवर लेवल) तक पहुँच चुका था, जो अधिकतम निर्धारित सीमा 830 मीटर से सिर्फ 7.02 मीटर कम है। मानसून की सक्रियता को देखते हुए संभावना है कि सितंबर के पहले सप्ताह तक झील अपनी अधिकतम क्षमता तक भर सकती है।
पानी के प्रवाह का विस्तृत ब्योरा
एल.पी. जोशी के अनुसार, वर्तमान में झील में कुल 913.13 क्यूमेक्स पानी प्रवेश कर रहा है। इसमें प्रमुख योगदान भागीरथी नदी से 316.13 क्यूमेक्स, भिलंगना नदी से 386 क्यूमेक्स और अन्य सहायक नदियों से लगभग 211 क्यूमेक्स पानी का है। बढ़ते जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए सुबह-शाम एक हजार क्यूमेक्स पानी झील से छोड़ा जा रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि झील से छोड़े जा रहे पानी से किसी प्रकार का खतरा नहीं है, क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया टीएचडीसी की नियमित निगरानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत की जा रही है।
जलविद्युत उत्पादन में तेजी
टिहरी बांध के जलस्तर में हो रही इस बढ़ोतरी का सकारात्मक असर जलविद्युत उत्पादन पर भी देखा जा रहा है। इस समय टिहरी डैम, पीएसपी परियोजना और कोटेश्वर डैम को मिलाकर कुल 1086 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। यह उत्पादन क्षमता मानसून सीजन में जल उपलब्धता के चलते काफी बेहतर स्थिति में है।
टिहरी डैम की कुल क्षमता 2400 मेगावाट है, जिसमें से मौजूदा उत्पादन एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस उत्पादन से उत्तर भारत के कई राज्यों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
झील की संरचना और सीमा
टिहरी झील उत्तराखंड की सबसे बड़ी जलाशयों में से एक है, जो लगभग 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है। इस झील को अधिकतम 830 मीटर आरएल तक भरा जा सकता है। हर साल मानसून के दौरान झील का जलस्तर बढ़ता है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इसे पूरी क्षमता तक भरने से पहले विशेष निगरानी और सावधानी बरती जाती है।
टीएचडीसी की तकनीकी टीम लगातार जलस्तर की मॉनिटरिंग कर रही है। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमानों के अनुसार आने वाले दिनों में पहाड़ी क्षेत्रों में और अधिक बारिश की संभावना है। इस संभावना को देखते हुए अनगेटेड साफ्ट स्पिल-वे से पानी छोड़ना जारी रहेगा।
क्या है अनगेटेड साफ्ट स्पिल-वे?
अनगेटेड साफ्ट स्पिल-वे एक विशेष प्रकार की संरचना होती है, जो झील के पानी को नियंत्रित रूप से नीचे की ओर प्रवाहित करने में मदद करती है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब झील का जलस्तर अत्यधिक बढ़ने लगे और खतरे की आशंका हो। चूंकि इसमें गेट नहीं होते, इसलिए यह स्वत: जलस्तर के अनुसार कार्य करता है और अतिरिक्त पानी को निकालने में मदद करता है।
टीएचडीसी ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर वर्तमान में सुबह-शाम एक हजार क्यूमेक्स और दिन के अन्य समय 448 क्यूमेक्स पानी छोड़ना शुरू किया है।