
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए बयान ने विपक्ष को एक बार फिर उग्र कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में पीएम मोदी द्वारा दिए गए बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि “देशभक्ति साबित करने के लिए मुझे प्रधानमंत्री मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से प्रमाण पत्र नहीं चाहिए।” रंधावा ने कहा कि कांग्रेस ने इस देश की आज़ादी के लिए सबसे बड़ी कुर्बानियां दी हैं, जिसे इतिहास भी जानता है और देश की जनता भी।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सबूत मांग रहा है, जबकि पाकिस्तान खुद इस कार्रवाई को स्वीकार कर चुका है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रंधावा ने प्रधानमंत्री पर राजनीतिक लाभ के लिए सेना के पराक्रम का श्रेय लेने का आरोप लगाया।
“ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय सेना को दें, न कि स्वयं को”: रंधावा
रंधावा ने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर देश की सुरक्षा एजेंसियों और सशस्त्र बलों की सफलता है। “प्रधानमंत्री को इसका श्रेय खुद लेने की बजाय इसे भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को देना चाहिए, जिन्होंने जान की बाज़ी लगाकर यह ऑपरेशन सफल किया,” उन्होंने कहा।
उन्होंने सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए कि पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने के बाद भी भारत ने युद्धविराम (सीजफायर) क्यों स्वीकार किया। रंधावा के अनुसार, भारत को पाकिस्तान पर और अधिक दबाव बनाना चाहिए था और यदि ज़रूरत होती, तो उसे “तीन टुकड़ों में विभाजित” कर देना चाहिए था।
इतिहास की याद दिलाते हुए 1965 और 1971 का जिक्र
रंधावा ने प्रधानमंत्री मोदी को भारत के सैन्य इतिहास की याद दिलाते हुए कहा, “1965 के युद्ध में हमने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था, और 1971 में तो उसके दो टुकड़े कर दिए थे। एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे सामने हथियार डाले थे।”
उन्होंने कहा कि भाजपा जानबूझकर इस इतिहास को नजरअंदाज करती है क्योंकि यह इंदिरा गांधी की निर्णायक भूमिका को उजागर करता है। “अगर इंदिरा गांधी का नाम नहीं लेना है, तो कम से कम जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का नाम तो लेना चाहिए, जिन्होंने ढाका में पाकिस्तानी जनरलों से सरेंडर करवाया था,” रंधावा ने जोड़ा।
“50 साल तक पाकिस्तान आंख उठाकर बात नहीं कर सका”
कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि 1971 के बाद पाकिस्तान 50 वर्षों तक भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख सका। “इतिहास गवाह है कि हमारी सेना ने जब जवाब दिया, तो पाकिस्तान की हिम्मत नहीं हुई कि सीमा पर हलचल कर सके। लेकिन अब, बार-बार हमले हो रहे हैं – पुलवामा, उरी, पठानकोट, और हाल ही में अमृतसर। फिर भी प्रधानमंत्री खामोश हैं।”
डोनाल्ड ट्रंप का हवाला देते हुए अमेरिका नीति पर सवाल
रंधावा ने प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत को व्यापार में धमकी दी थी, तो पीएम मोदी ने उसका जवाब क्यों नहीं दिया?”
उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप के इस बयान के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के जनरल को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया, लेकिन भारत की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। “क्या प्रधानमंत्री को यह स्पष्ट नहीं करना चाहिए था कि भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा?” रंधावा ने सवाल उठाया।
“ट्रंप के कहने पर सीजफायर क्यों?”
सीजफायर को लेकर भी कांग्रेस नेता ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “1971 में जब पाकिस्तान गिड़गिड़ा रहा था, तब भी हमने तुरंत सीजफायर नहीं किया था। लेकिन आज अमेरिका के एक फोन कॉल पर आधे मिनट में युद्धविराम हो जाता है?”
रंधावा का आरोप है कि इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान ने एक बार फिर पठानकोट और अमृतसर में हमले किए, और केंद्र सरकार मूक दर्शक बनी रही।
“पहलगाम हमला: बीजेपी के एक भी नेता को नहीं देखा फील्ड में”
अपने गृह राज्य पंजाब की स्थिति का उल्लेख करते हुए रंधावा ने कहा, “पहलगाम में जब आतंकवादियों ने भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया, तब बीजेपी का एक भी नेता फील्ड में नहीं दिखा।”
उन्होंने दावा किया कि “मैं चार दिन लगातार अपने इलाके में रहा, लोगों के बीच था, लेकिन न तो कोई केंद्रीय मंत्री आया और न ही किसी बीजेपी नेता ने पंजाब की हालत पर बयान दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब को युद्धस्थल बना दिया गया है, और केंद्र सरकार आंख मूंदे बैठी है।
“देश के लिए कुर्बानी कांग्रेस के खून में है”
रंधावा ने अपनी बात को विराम देते हुए दो टूक कहा कि “देशभक्ति कांग्रेस के खून में है। ये वही पार्टी है जिसने आजादी की लड़ाई में अपने नेता जेलों में भेजे, फांसी पर चढ़ाए। हमें किसी से प्रमाण पत्र की ज़रूरत नहीं।”
उन्होंने कहा कि आज देश को ज़रूरत है साहसी, स्पष्ट और निष्पक्ष नेतृत्व की, जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए सेना के बलिदानों का इस्तेमाल न करे।