
लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी कमल खिल गया है और अब आयुष्मान भारत योजना दिल्ली में भी लागू हो चुकी है। उनके इस बयान से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भाजपा दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है और दिल्ली की राजनीति में उसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि पहले दिल्ली में भाजपा के लिए चुनौती थी, लेकिन अब पार्टी ने राज्य में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित कर लिया है। उनका कहना था कि दिल्ली बची हुई थी, लेकिन अब दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना लागू हो गई है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। शाह ने इस बयान के माध्यम से पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर किए गए कामों का श्रेय लिया। उनके मुताबिक, अब दिल्ली भी देश के अन्य राज्यों की तरह स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पश्चिम बंगाल में कमल खिलने का दावा
अमित शाह ने अपने बयान में पश्चिम बंगाल का भी उल्लेख किया और कहा कि अब केवल पश्चिम बंगाल बचा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में भी भाजपा का झंडा लहराएगा और वहां भी कमल खिलेगा। उनके इस बयान का मकसद बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को दिखाना था। शाह का कहना था कि भाजपा ने बंगाल में अपनी उपस्थिति को लगातार मजबूत किया है और आने वाले समय में राज्य में पार्टी को बहुमत प्राप्त होगा।
उनके मुताबिक, पश्चिम बंगाल में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता और पार्टी के प्रति जनमत का संकेत है कि राज्य की राजनीति में भाजपा का स्थान दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। शाह के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी तैयारियों को तेज कर चुकी है और चुनावी अभियान में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 पर चर्चा
दिल्ली और पश्चिम बंगाल पर अपनी बात खत्म करने के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 पर भी अपने विचार रखे। इस विधेयक के माध्यम से सरकार सहकारी क्षेत्र को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है। शाह ने लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि सहकारिता का क्षेत्र देश के हर परिवार से जुड़ा हुआ है और यह क्षेत्र कृषि, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार के लिए महत्वपूर्ण है।
उनका कहना था कि हर गांव में कोई न कोई सहकारी संस्था होती है जो ग्रामीणों की मदद करती है और देश की प्रगति में योगदान करती है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का उद्देश्य सहकारिता को एक सशक्त मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा। इस विश्वविद्यालय का लक्ष्य सहकारिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और लोगों को इस क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और नवाचार के अवसर प्रदान करना है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम
अमित शाह ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 की खासियत पर बात करते हुए कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। उनके मुताबिक, यह विधेयक स्वरोजगार, लघु उद्यमिता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने में मदद करेगा। शाह ने बताया कि इस विश्वविद्यालय के जरिए शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में सामाजिक और आर्थिक बदलाव आएगा।
शाह ने कहा कि इस विधेयक से सहकारी संस्थाओं और ग्रामीण विकास को एक नया दिशा मिलेगा और यह देश की प्रगति में सहकारी संगठनों के योगदान को और अधिक महत्वपूर्ण बनाएगा। उनका मानना था कि इस विश्वविद्यालय के माध्यम से लोग सहकारिता के सिद्धांतों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और इस क्षेत्र में नये अवसर पैदा होंगे।
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक क्या है?
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 एक प्रस्तावित विधेयक है, जिसे 3 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारत में एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना करना है, जो सहकारिता के सिद्धांतों पर आधारित शिक्षा, शोध और नवाचार को बढ़ावा देगा। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य ग्रामीण विकास, कृषि, स्वरोजगार, लघु उद्यमिता और सामाजिक समावेश के क्षेत्रों में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह विश्वविद्यालय भारतीय सहकारी क्षेत्र को एक नई दिशा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को भी सशक्त करेगा।
अमित शाह के अनुसार, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का नामकरण एक ऐसे मॉडल पर आधारित है जो सहकारिता के सिद्धांतों पर आधारित है और जिसने पूरी दुनिया में सकारात्मक प्रभाव डाला है। यह मॉडल गांधीजी के सिद्धांतों को अपनाने के बाद एक नए दिशा में कार्य करता है। शाह का कहना था कि यह नाम एक ऐसे व्यक्ति के सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्होंने ईमानदारी से सहकारिता के सिद्धांतों को जीवन में उतारा।