
प्रकृति प्रेमियों और पर्वतीय सौंदर्य के दीवानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। विश्व प्रसिद्ध ‘फूलों की घाटी’ (Valley of Flowers) एक बार फिर अपने रंग-बिरंगे और दुर्लभ पुष्प वैभव के साथ पर्यटकों के लिए एक जून से खोल दी जाएगी। इसको लेकर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने तैयारियों का आगाज़ कर दिया है। इस वर्ष पर्यटकों की सुविधा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए पार्क प्रशासन ने पहली बार ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा भी शुरू कर दी है।
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ तरुण एस ने जानकारी दी कि घाटी में प्रवेश के लिए अब पर्यटक ऑनलाइन वेबसाइट https://valleyofflower.uk.gov.in के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं और निर्धारित शुल्क भी ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। यह सुविधा पहले केवल घांघरिया में ऑफलाइन उपलब्ध थी, जिससे यात्रियों को लंबी कतारों और समय की परेशानी का सामना करना पड़ता था।
प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत चमत्कार: फूलों की घाटी
हिमालय की गोद में स्थित फूलों की घाटी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल एक अद्वितीय जैव विविधता क्षेत्र है, जो अपने आप में प्राकृतिक सौंदर्य और जीवविविधता का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां जुलाई से सितंबर के बीच 500 से अधिक प्रजातियों के जंगली फूल खिलते हैं, जिनमें ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी, कोबरा लिली, हिमालयन बेल, मार्श मेरीगोल्ड, और प्रिमुला जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ शामिल हैं।
समुद्रतल से लगभग 3,658 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह घाटी हर वर्ष हज़ारों देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। घाटी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को गोविंदघाट से घांघरिया होते हुए करीब 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो स्वयं में रोमांचकारी अनुभव है।
ऑनलाइन पंजीकरण से मिलेगा राहत और पारदर्शिता
पिछले वर्षों में फूलों की घाटी के प्रवेश के लिए घांघरिया में ही ऑफलाइन पंजीकरण की अनिवार्यता थी, जहां पर्यटकों को लंबी कतारों में खड़े होकर शुल्क जमा करना पड़ता था। कई बार अधिक पर्यटकों की भीड़ के कारण पंजीकरण में देरी होती थी, जिससे यात्रियों को घाटी में प्रवेश करने का समय कम मिल पाता था।
इस वर्ष नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन ने इस परेशानी का समाधान निकालते हुए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है, जो न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि समय और संसाधनों की बचत भी करेगा। यह कदम डिजिटल इंडिया और पर्यटन के डिजिटलीकरण की दिशा में भी एक बड़ा योगदान माना जा रहा है।
बारिश से हुए नुकसान का होगा आकलन
घाटी को पर्यटकों के लिए सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की फूलों की घाटी रेंज टीम को घांघरिया रवाना कर दिया गया है। टीम वहां हालिया बारिश से हुए नुकसान का आकलन करेगी, ताकि ट्रेकिंग मार्गों की मरम्मत, सुरक्षा दीवारों की मरम्मत और सूचना पट्टों की स्थापना जैसे कार्य समय रहते पूरे किए जा सकें।
डीएफओ तरुण एस ने बताया, “हमारी प्राथमिकता है कि पर्यटकों को सुरक्षित और सुखद अनुभव मिले। टीम के लौटने के बाद आवश्यक निर्माण और मरम्मत कार्य किए जाएंगे ताकि घाटी तक पहुंचने का रास्ता बाधारहित हो।”
पर्यटन के साथ पर्यावरण संरक्षण भी प्राथमिकता
फूलों की घाटी एक संवेदनशील इको-सिस्टम है और यहां पर मानव हस्तक्षेप को अत्यंत सीमित रखा गया है। पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित करने और जैव विविधता की रक्षा के लिए पार्क प्रशासन हर वर्ष क्वालिटी ट्रैकिंग और सतत निगरानी करता है। इस वर्ष भी पर्यटकों को घाटी में कूड़ा-कचरा न फेंकने, ध्वनि प्रदूषण से बचने, और फूलों को न छूने या तोड़ने की सख्त हिदायत दी जाएगी।
घांघरिया में प्रवेश के दौरान पर्यटकों को एक “ईको-गाइडलाइन बुकलेट” दी जाएगी, जिसमें उन्हें फूलों की घाटी की जैव विविधता और उससे जुड़े पर्यावरणीय नियमों की जानकारी दी जाएगी। यह कदम पारिस्थितिकी संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
राज्य पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
उत्तराखंड राज्य पर्यटन विभाग और चमोली जिला प्रशासन फूलों की घाटी सीज़न को सफल बनाने के लिए कई व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। इसमें ट्रेकिंग मार्गों पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की स्थापना, और पेयजल व शौचालय सुविधाओं का विस्तार शामिल है।
साथ ही, स्थानीय ग्रामीणों और गाइड्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे पर्यटकों को बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें और रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकें।
विदेशी पर्यटकों के लिए भी सुविधाएं
फूलों की घाटी हर साल अमेरिका, जर्मनी, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों से आने वाले हजारों विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। इस वर्ष ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल को अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है, जिससे विदेशी पर्यटक भी अपनी यात्रा को पहले से योजनाबद्ध तरीके से संचालित कर सकेंगे।
इसके अलावा, इंटरनेशनल ट्रैवलर्स के लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन हेल्प डेस्क की भी योजना बनाई जा रही है ताकि किसी भी समस्या या जानकारी के लिए तुरंत सहायता मिल सके।